जेनर डायोड क्या है? कैसे जेनर डायोड एक वोल्टेज रेगुलेटर की तरह काम करता है? | Zener Diode As a Voltage Regulator in Hindi

आज हम जानेंगे, Zener diode kya hai (What is Zener Diode in Hindi?) और यह कैसे काम करता है? जेनर डायोड एक special purpose diode है. एक ऐसा डायोड जो reverse bias condition में भी काम करता है. जेनर डायोड (Zener Diode in Hindi) का उपयोग मुख्यतः voltage को regulate करने के लिए किया जाता है.

जेनर डायोड की खोज क्लारेंस जेनर ने 1950  में की थी और उन्ही के नाम पर इस डायोड का नाम जेनर पड़ा.

क्या कभी आपने सोचा है की साधारण pn junction diode को जब हम reverse में जोड़ते हैं तो वह काम नहीं करता है. लेकिन जेनर diode reverse bias condition में भी काम करता है. ऐसा क्यों? ऐसा इसीलिए क्योंकि zener diode को बनाने में प्रयुक्त होने वाले P और N-type semiconductor का डोपिंग लेवल high होता है.

डोपिंग लेवल high से मतलब यह है की impurity, pure semiconductor (Intrinsic semiconductor) में ज्यादा मात्रा में मिलायी जाती है.

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Zener Diode को Breakdown Diode भी कहते हैं. क्योंकि यह breakdown region में भी काम करता है.

जेनर डायोड का चिन्ह | Zener Diode Symbol with Polarity

zener diode kya hai

जेनर डायोड कैसे काम करता है? (Zener Diode Working in Hindi)

यदि आपने साधारण pnjunction diode के बारे में पढ़ा है तो आप जानते होंगे की जब साधारण डायोड को रिवर्स में जोड़ते हैं तो depletion layer की चौड़ाई बढ़ती है. उस समय, एक धारा (current) बहती है यह धारा minority charge carriers के कारण बहती है. जिसे हम रिवर्स saturation current भी कहते हैं.

यदि आप रिवर्स वोल्टेज को बढ़ाते हैं तो minority charge carriers को एक गति मिलती है. यह minority charge carriers depletion layer में मौजूद मुक्त charge carriers से टकराते हैं, जिसके कारण covalent bond टूटने लगते हैं और वे उन्हें depletion लेयर से बहार  धकेलते हैं. अब यह मुक्त charge carriers बढ़ते जाते हैं और डायोड एक अच्छे चालक की तरह काम करने लगता है. तो यह Avalanche Breakdown कहलाता है.

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जब pn-junction diode को highly doped किया जाता है तो depletion layer में ions की अधिकता होती है. जब हम रिवर्स वोल्टेज देते हैं तो depletion लेयर की चौड़ाई, साधारण pn-जंक्शन डायोड की depletion layer से कम होती है.

Depletion layer की चौड़ाई कम होने के कारण, उत्पन्न विघुत क्षेत्र (Electric Field) काफी ताकतवर होती है. रिवर्स वोल्टेज को लगातार बढ़ाते रहने से, depletion layer में मौजूद Covalent bond टूटने लगते हैं, electrons free होने लगते हैं और depletion region से बाहर आने लगते हैं. फलस्वरूप, डायोड एक अच्छे चालक (conductor) की तरह काम करने लगता है. इस breakdown को हम zener breakdown या Zener Effect भी कहते हैं.

वह वोल्टेज जिस पर हमे Zener breakdown मिलता है, zener वोल्टेज कहलाती है. इसे Vz से दर्शाते (represent) हैं

यदि zener voltage (Vz ) दी जाने वाली (Applied) वोल्टेज (Vi) से कम है या बराबर है (V≥ Vz) तो जेनर डायोड एक सुचालक की तरह काम करेगा।

जेनर डायोड का V-I  ग्राफ | Zener Diode Characteristics Graph in Hindi

Forward Bias Condition में साधारण pn-junction diode एक अच्छे सुचालक की तरह काम करता है और हमे एक अच्छे मात्रा में current मिलती है. लेकिन रिवर्स bias में साधारण pn-junction diode से बहुत कम मात्रा में current मिलती है.

जब reverse voltage बढ़ाई जाती है, तो डायोड में अधिक मात्रा में current बहने लगती है, जिसके कारण डायोड गर्म हो जाता है और जल जाता है.  हमे इस समस्या से निजात दिलाई है, zener diode ने. रिवर्स में वोल्टेज बढ़ाने पर जेनर डायोड कभी भी destroy नहीं होता है. क्योंकि जेनर डायोड heavily doped होता है.

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Forward Bias Condition में Diode साधारण pn-junction diode की तरह काम करता है. (ऊपर दिए ग्राफ को देखें)

Reverse Bias Condition में Zener voltage (Vz ) के बाद धारा (current) बढ़ती है. जब reverse में दी जाने वाली वोल्टेज, zener वोल्टेज से ज्यादा होती है तो थोड़ी-सी वोल्टेज में परिवर्तन करने पर अधिक मात्रा में current प्राप्त होती है. (ऊपर दिए ग्राफ को देखे)

जेनर डायोड का उपयोग | Zener Diode as a Voltage Regulator in Hindi

नीचे  दिए गए चित्र को देखें, बल्ब को ON करने के लिए हमे 60 V की supply चाइये। बल्ब को ON होने के लिए वोल्टेज न 60 V से ज्यादा होनी चाइये और न ही 60 V से कम होनी चाइये। चित्र के अनुसार, supply 40V – 80V तक मिल रही है

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Case-1: माना, Supply Voltage Vs = 45V मिल रही है तो, प्रश्न यह उठता है की क्या बल्ब ON होगा। नहीं, बल्ब ON नहीं होगा। क्योंकि बल्ब को ON होने के लिए 60 V ही चाइये।

Case-2: माना, Supply Voltage Vs = 70 V है तो अब क्या बल्ब जलेगा। जैसा की हम जानते हैं की बल्ब को ON होने के लिए 60 V की supply चाइये। लेकिन हमे मिल रही है 70 V. इतनी अधिक वोल्टेज को बल्ब नहीं संभाल पायेगा और जल जायेगा।

Case-2 जैसी situation न आये इसके लिए ही हम जेनर डायोड की जरूरत होती है.

नीचे दिए गए चित्र को ध्यान से देखें, हमने circuit में zener diode को बल्ब के parallel में कनेक्ट किया है और जेनर डायोड को रिवर्स में जोड़ा है. अगर आप चित्र में लगे जेनर डायोड को ध्यान से देखें तो आप पाएंगे की जेनर डायोड का negative सिरा, supply voltage Vs के positive सिरे से जुड़ा है. जेनर डायोड का positive सिरा, सप्लाई वोल्टेज Vs के  negative सिरे से जुड़ा है.

zener diode kya hai

Case-1: क्या होगा, यदि Supply वोल्टेज Vs = 40V और Vz  = 60 V है तो,

हम जानते हैं की zener diode, तभी conduct करेगा, जब Vz > Vs होगा, यानी 40V की supply सीधे बल्ब को मिलेगी। लेकिन बल्ब को ON होने के लिए 60V की supply चाइये तो bulb ON नहीं होगा।

Case-2: क्या होगा, यदि Supply Voltage Vs= 70V और Vz  = 60 V है तो, 

क्योंकि Vs > Vz है तो जेनर डायोड कंडक्ट करेगा और मिलने वाली 70 V की सप्लाई को डायरेक्ट बल्ब पर नहीं जाने देगा। बल्ब जलने से बच जायेगा।

आशा करती हूँ की Zener Diode kya hai और कैसे काम करता है. use of zener diode in hindi (zener diode as a voltage regulator in Hindi) अच्छे से समझ आया होगा। यदि आपका इस टॉपिक संबंधित कोई प्रश्न हो तो अपना प्रश्न comment box में लिखें।

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