क्या है Archimedes Ka Siddhant in Hindi?

क्या कभी आपने सोचा है की की एक छोटी सी कील पानी में डूब जाती है, लेकिन, इतना बड़ा जहाज पानी में तैरता रहता है. ऐसा क्यों? इसे हम समझ सकते हैं आर्कमिडीज के सिद्धांत से (Archimedes Ka Siddhant in Hindi).

आखिर, क्या है आर्कमिडीज का सिद्धांत और इसका उपयोग कैसे किया जाता है. लेकिन उस से पहले थोड़ा बहुत यह जानने की कोशिश करते हैं की आर्कमिडीज के सिद्धांत की उत्पत्ति कैसे हुई?

उत्पत्ति | History Behind Archimedes’ Principle

कहते हैं राजा जब युद्ध जीत कर आये तो उन्होंने अपने साम्राज्य के सुनार को मुकुट बनवाने के लिए 1 किलो सोना दिया। जब मुकुट बन कर आया तो राजा को लगा की उन्होंने जितना सोना दिया था, उतना सोना मुकुट में प्रयोग नहीं किया गया है. उन्हें लगा की इस मुकुट को बनाते वक़्त इसमें मिलावट की गई है.

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अब राजा के पास दो तरीके थे: पहला की मुकुट को वापस पिघला कर यह जांच की जाये की उसमे कितना सोना है. दूसरा उसकी जांच करवाई जाये।

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राजा मुकुट पिघलवाना नहीं चाहता था क्योंकि वो बहुत ही खूबसूरत था. तब उन्होंने अपने पास आर्कमिडीज को बुलवाया और कहा की इस मुकुट की जांच करें की इसमें कितना सोना प्रयुक्त हुआ है, उस समय आर्कमिडीज ऐसे किसी तरीके को नहीं जानते थे, जिससे पता लग पाए की मुकुट में कितना सोना प्रयोग किया गया है.

Archimedes Ka Siddhant in Hindi

अब वह खोज करने लगे. फिर एक दिन आर्कमिडीज बाथरूम में नहाने गए. वहां जैसे ही वो अपने नहाने के तब में बैठे पानी उछल कर बहार आ गया. अब आर्कमिडीज को समझ चुके थे की कैसे मुकुट की शुद्धता की जांच करेंगे।

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अगले दिन आर्कमिडीज राजा के पास गए और उनको पानी से भरे बर्तन लाने को कहा. जब पहले बर्तन में मुकुट को डुबोया तो जो पानी निकला, उसको एक बर्तन में रख लिया।

दूसरी बार उन्होंने शुद्ध १ किलो सोने को पानी में डुबाया और जो पानी निकला उसको एक बर्तन में रख लिया।

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अब आर्कमिडीज ने कहा की यदि दोनों बर्तन में आया पानी सामान मात्रा में है तो इसका मतलब है की मुकुट शुद्ध सोने का है. लेकिन यदि ऐसा नहीं है तो मुकुट वाले बर्तन से निकला पानी की मात्रा अधिक होगी क्योंकि उसमे मिलावट होगी।

तो दोस्तों यह हमने पढ़ा की कैसे आर्कमिडीज ने इस सिद्धांत की खोज की. आइये, अब इस सिद्धांत को समझते हैं,

आर्कमिडीज सिद्धांत क्या है? | What is Archimedes Principle in Hindi?

इस सिद्धांत के अनुसार, “जब कोई solid पदार्थ जैसे लोहा या कील आदि को पानी (तरल पदार्थ) में थोड़ा (आंशिक रूप से) या पूरा डुबाया जाता है तो उसके भार में कमी, वस्तु द्वारा हटाए जाने वाला द्रव्य (तरल) के बराबर होती है.”

Archimedes Ka Siddhant in Hindi

क्या आपने कभी सोचा की आखिर पानी में डूबने पर वस्तु के भार में कमी क्यों आती है? यह होता है, उत्प्लावन बल के कारण। आख़िरकार, क्या है उत्प्लावन बल? आइये समझते हैं,

जब हम किसी वस्तु को पानी में डूबते हैं तो द्रव्य या पानी या तरल द्वारा उस वस्तु पर ऊपर की तरफ एक बल लगता है जिसे उत्प्लावन बल कहते हैं.

माना, हवा में किसी वस्तु का वजन (W) = mg है.

जब हम वस्तु को पानी में डुबोते हैं तो हमे उसके भार में एक कमी प्रतीत होती है. ऐसा इसीलिए होता है क्योंकि वस्तु को डुबोने पर कुछ तरल या द्रव्य या पानी उस वस्तु द्वारा हटाया जाता है.

अब क्योंकि वह पानी अपनी पुरानी अवस्था में आना चाहता है तो वह ऊपर की ओर उस वस्तु पर एक बल लगाता है जिसे उत्प्लावन बल भी कहते हैं.

वास्तु द्वारा हटाए गए द्रव का भार (WR ) = Vdg

वस्तु पर पर द्रव्य द्वारा ऊपर की ओर लगने वाला बल (उत्प्लावन बल) B = Vdg

जहाँ, V = वस्तु का पानी में डुबोने पर आयतन (volume)

d = घनत्व (density)

वस्तु को द्रव्य या पानी में डुबाने पर उसके भार में कमी या आभासी भार (WA) = वस्तु का कुल भार-उत्प्लावन बल

वस्तु को डुबोने पर वस्तु के भार में कमी = mg – vdg

तैरने के नियम | Flotation Law

(1) जब किसी वस्तु का वजन, उत्प्लावन बल से अधिक होता है, तो वस्तु डूब जाती है.

(2) यदि किसी वस्तु का वजन, उत्प्लावन बल के बराबर होता है, तो वस्तु द्रव्य के अंदर तैरेगी।

(3) जब किसी वस्तु का वजन, उत्प्लावन बल से कम होगा तो वस्तु द्रव्य की सतह पर तैरने लगेगी।

आर्कमिडीज का सिद्धांत का अनुप्रयोग | Application of Archimedes Principle

(1) जलयान (Ship)

ऐसा क्यों होता है एक जहाज तो पानी पर तैरता है लेकिन एक छोटी सी कील पानी में डूब जाती है. सोचा है कभी,

क्योंकि, जहाज का संरचना खोखला होता है. जिसके कारण उसमे हवा भर जाती है. वायु का घनत्व, जल के घनत्व से कम होता है. जिसके कारण जलयान तैरता है.

वहीँ कील का घनत्व, जल के घनत्व से अधिक होता है. जिसके कारण कील डूब जाती है.

(2) पनडुब्बी (Submarine)

हमने देखा है की पनडुब्बी पानी सतह पर तैरती भी है और पानी के अंदर डूब भी जाती है. ऐसा क्यों,

ऐसा इसीलिए, क्योंकि, पनडुब्बी में एक टैंक होता है. जब उसमे पानी भर दिया जाता है तो पनडुब्बी का वजन, उस पर लगने वाले उत्प्लावन बल से अधिक हो जाता है और पनडुब्बी पानी में डूब जाती है.

लेकिन, जब पनडुब्बी को पानी की सतह पर तैरना होता है तो टैंक के पानी को बाहर निकाल दिया जाता है. अब पनडुब्बी का वजन, उत्प्लावन बल से कम होता है और पनडुब्बी पानी पर तैरने लगती है.

(3) मछली (Fish)

कभी आपने सोचा है की ऐसा क्यों होता है की मछलियां कभी तो पानी की सतह पर तैरती हैं और कभी पानी के अंदर।

ऐसा होता है, स्विम ब्लैडर के कारण। जब मछली को पानी के ऊपर तैरना होता है तो इस ब्लैडर को वह हवा से भर लेती है. हवा का घनत्व पानी के घनत्व से कम होता है. जिसके कारण वो सतह पर तैरती है.

वहीँ जब मछली को पानी के अंदर जाना होता है तो वह ब्लैडर से हवा निकल देती है. फलस्वरूप, मछली का वजन बढ़ जाता है.  क्योंकि, मछली का वजन, मछली पर लगने वाले उत्प्लावन बल से अधिक होता है. जिसके कारण मछली पानी के अंदर तैरती है.

(4) गुब्बारा (Balloon)

जब गुब्बारे में हीलियम या हाइड्रोजन गैस भर कर छोड़ा जाता है, तो गुब्बारे पर दो बल काम करते हैं- पहला, गुब्बारे का वजन नीचे की ओर, दूसरा, हवा का उत्प्लावन बल ऊपर की ओर.

अब प्रश्न यह उठता है की गुब्बारा ऊपर की तरफ कब जायेगा? जब गुब्बारे का वजन, लगने वाले उत्प्लावन बल से कम है तो गुब्बारा हवा में उड़ेगा। लेकिन, अगर ऐसा नहीं है तो गुब्बारा हवा में नहीं उड़ेगा। वह नीचे जमीन पर आ जायेगा।

निष्कर्ष

यहाँ हमने जाना की Aarkmidij ka sidhant क्या है? उत्प्लावन बल क्या है और आर्कमिडीज के उपयोगों के बारे में जाना। आशा है की आपको अच्छे से समझ आया होगा। अगर आप कुछ और जानना चाहते हो तो आप कमेंट बॉक्स में अपना प्रश्न लिख सकते हैं.

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