हम सब जानते हैं की हमारा दिमाग कई करोड़ कोशिकाओं से मिल कर बना होता है, जिन्हे हम न्यूरॉन्स कहते हैं. इन्हीं neurons की मदद से हम में सोचने-समझने, फैसले लेने और चीजों को याद रखने की क्षमता उत्प्पन्न होती है.
जिस तरीके से हमारा दिमाग काम करता है, बिल्कुल, उसी प्रकार कंप्यूटर भी कई छोटे-छोटे cells से मिल कर बना होता है. इन छोटे-छोटे cells को हम transistor कहते हैं.
आजकल market में कई प्रकार के ट्रांजिस्टर available हैं. लेकिन, आज भी सबसे ज्यादा उपयोग NPN Transistor का किया जाता है.
चलिये, समझते हैं की ट्रांजिस्टर क्या हैऔर कैसे काम करता है? (What is Transistor in Hindi?)
Transistor एक three-terminal semiconductor device (Emitter, Collector और Base) है, जिसका उपयोग signals को amplify करने, generate करने और control करने के लिए किया जाता है. यह एक active component है, जो बहुत सारे components से मिल कर बना होता है.
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Table of Contents
ट्रांजिस्टर का अविष्कार किसने किया?| Who Invented Transistor in Hindi?
ट्रांजिस्टर की खोज, सन्न 1947 में Bell Laboratories में William B. Schokley, Walter H. Brattain, और John Bardeen ने मिलकर की थी.
ट्रांजिस्टर कितने प्रकार के होते हैं?| Types of Transistor in Hindi
ट्रांजिस्टर दो प्रकार के होते हैं,
1) Bipolar Junction Transistor (BJT)
बाइपोलर जंक्शन ट्रांजिस्टर को दो भागों में विभाजित किया गया है,
i) NPN Transistor
ii) PNP Transistor
2) Field Effect Transistor (FET)
यह ट्रांजिस्टर भी दो प्रकार के होते हैं,
i) Junction Field Effect Transistor (JFET)
ii) Metal Oxide Field Effect Transistor (MOSFET)
आज इस आर्टिकल में हम Bipolar Junction Transistor (BJT) के बारे में समझेंगे।
Modes of Transistor in Hindi
जब base-emitter junction (JBE) को forward bias और collector-base junction (JBC) को reverse bias में connect करते हैं, तब ट्रांजिस्टर active mode में काम करता है.
Saturation mode में, transistor के दोनों जंक्शन JBE और JBC forward bias में connect किये जाते हैं.
जब दोनों junctions (JBE और JBC ) को reverse bias में connect करते हैं, तब transistor cut-off mode में काम करता है.
ट्रांजिस्टर inverting mode में तब काम करेगा, जब JBE को forward bias और JBC को reverse bias में connect करते हैं.
बाइपोलर जंक्शन ट्रांजिस्टर क्या है? | What is Bipolar Junction Transistor in Hindi?
यदि आप PN Junction Diode के बारे में पढ़ चुके हैं, तो आप जानते होंगे की जिस तरीके से डायोड, P-type और N-type semiconductor material से मिलकर बना होता है. बिल्कुल, उसी प्रकार, ट्रांजिस्टर भी semiconductor material से बना होता है.
जब दो N-type सेमीकंडक्टर material के बीच में, P-type semiconductor material को sandwich किया जाता है, तब NPN bipolar junction transistor बनता है.
उसी प्रकार, जब दो P-type semiconductor material के बीच में N-type semiconductor material को sandwich किया जाता है, तब PNP transistor बन कर तैयार होता है.
NPN ट्रांजिस्टर में electrons, majority charge carriers और holes, minority charge carriers होते हैं. जबकि, PNP ट्रांजिस्टर में holes, majority charge carriers और electrons, minority charge carriers होते हैं.
ऊपर दिए गए चित्र को देखें(Figure1), NPN transistor के structure के बायें हाथ के तरफ का हिस्सा, Emitter और सीधे हाथ के तरफ का portion, collector और बीच का हिस्सा base कहलाता है.
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चित्र को देखने पर, आपने पाया होगा की Emitter, Base और Collector की चौड़ाई (thickness) में अंतर है. क्या आपके दिमाग में यह विचार आया की ऐसा क्यों होता है?
इसका जवाब हम आपको बता देते हैं, क्योंकि, collector, emitter और base के comparitively ज्यादा power dissipate करता है.
अक्सर लोग एक question और पूछते हैं की क्या, Emitter, base और collector के doping level में भी अंतर होता है? यहाँ पर भी मेरा जवाब हाँ ही है. Emitter का डोपिंग लेवल सबसे ज्यादा होता है. Collector, moderately doped होता है, और Base का डोपिंग लेवल सबसे कम होता है.
बाइपोलर जंक्शन ट्रांजिस्टर का प्रतीक क्या है?| Symbol of Bipolar Junction Transistor in Hindi
NPN ट्रांजिस्टर कैसे काम करता है? | Working of NPN Transistor in Hindi
हम पढ़ चुके हैं की ट्रांजिस्टर क्या होता है, कितने प्रकार का होता है? अब हम समझेंगे की ट्रांजिस्टर कैसे काम करता है?
देखिये, एक बात समझिये, NPN ट्रांजिस्टर और PNP ट्रांजिस्टर के काम करने का तरीका बिल्कुल एक जैसा है. बस अंतर यह है की NPN transistor में current conduction, electrons के कारण होता है और PNP transistor में conduction, holes के कारण होता है.
NPN और PNP transistor में से, सबसे ज्यादा use NPN transistor का किया जाता है. क्योंकि, NPN transistor, high frequency पर अच्छा perform करता है.
जिस तरीके से, diode में PN junction होता है, बिल्कुल उसी तरह, ट्रांजिस्टर में दो PN-junction formed होते हैं, पहला जंक्शन, base-emitter junction है, जिसे JBE से denote करते हैं. दूसरा जंक्शन, collector-base junction कहलाता है, जिसको JBC से दर्शाया गया है.
अब बात करते हैं की ट्रांजिस्टर कैसे काम करता है? जब base-emitter junction को (JBE) को बैटरी से forward biased में और collector-base junction को (JBC) reverse bias में connect करते हैं, तब transistor active region में काम करता है.
Forward Bias Voltage (VBE), Reverse bias Voltage (VCB) के comparison में कम होती है.
जैसा की हम पढ़ चुके हैं की, collector और base के मुकाबले, emitter, heavily doped होता है. जब forward bias voltage apply (VBE) की जाती है, तो electrons, base की तरफ move करते हैं. जिसके कारण Emitter current (IE) flow करती है. क्योंकि, base में holes की majority है, तो कुछ electrons, holes के साथ combine हो जाते हैं.
क्योंकि, base lightly doped है, तो कुछ ही इलेक्ट्रान base में मौजूद holes के साथ combine हो पाते हैं और बाकि के इलेक्ट्रॉन्स base को cross कर जाते हैं. इलेक्ट्रॉन्स के होल्स के साथ combine होने के कारण IB current produce होती है. यह current, emitter current के comparison में काफी कम होती है.
Emitter के comparatively, collector का डोपिंग लेवल कम होता है. तो, emitter के comparison, collector में electrons की मात्रा भी कम होती है. जब, collector-base junction को reverse में जोड़ा जाता है, तो बैटरी का positive terminal electrons को attract करता है. फलस्वरूप, current Ic flow करती है.
Emitter current (IE), base current (IB) और collector current (Ic) के योग के बराबर होती है.
IE = IB + IC
Base current बहुत ही छोटी होती है, लगभग, negligible (IB = 0).
IE = IC
इस equation से यह सिद्ध होता है की collector current, emitter current पर depend करती है. मतलब यह की emitter current के zero होने पर collector current भी zero ही होगी।
PNP ट्रांजिस्टर कैसे काम करता है? | PNP Transistor Working in Hindi
जिस तरीके से NPN-transistor में electrons की majority होती है. ठीक उसी प्रकार, PNP-transistor में holes की majority होती है. PNP-transistor में current-conduction holes के कारण होती है. NPN-transistor के comparison में PNP-transistor में current कम मात्रा में Flow करती है.
NPN-transistor की तरह, PNP-transistor में Emitter-base junction, forward bias और collector-base junction, reverse-biased होता है.
जब बैटरी का positive terminal, emitter से और negative terminal, base से जोड़ा जाता है. तब वह forward bias connection कहलाता है.
जब collector को battery के negative terminal और base को बैटरी के positive terminal से connect करते हैं, तब वह junction collector-base junction कहलाता है.
हम सभी जानते हैं की current का conduction सिर्फ और सिर्फ electrons के कारण होता है. क्योंकि, p-type semiconductor में holes, majority carriers और electrons, minority carriers होते हैं. इसी वजह से PNP-transistor में बहने वाली current, NPN-transistor के मुकाबले कम होती है.
बैटरी VBE का positive terminal, p-type semiconductor material से electrons को attract करता है. फलस्वरूप, current IE Flow करती है. Holes, emitter से base की तरफ move करते हैं. क्योंकि, base, lightly doped होता है, तो 1% से 5% holes ही electrons के साथ combine हो पाते हैं. फलस्वरूप, धारा (current) IB flow करती है.
कुछ holes, collector-base junction को cross करके collector में चले जाते हैं और battery के negative terminal द्वारा attract कर लिये जाते हैं. फलस्वरूप, current Ic flow करती है. Current Ic का value, current IE के comparison में कम होता है.
Types of Transistor Configuration
क्या कभी आपने सोचा की ट्रांजिस्टर को किसी भी circuit में कैसे जोड़ा जा सकता है? क्योंकि, यह तो three-terminal device (emitter, base, collector) है.
किसी भी circuit में transistor को जोड़ने के लिए आपको 4-terminals की जरूरत पड़ती है. 2-terminals input side पर और 2-terminal output-side पर.
क्योंकि, ट्रांजिस्टर में केवल तीन ही सिरे होते हैं तो ऐसे में क्या किया जा सकता है? वैज्ञानिकों ने इस समस्या का हल तो निकाला, और वो यह की किसी भी एक terminal को input और output के बीच common कर दें. इस प्रकार से तीन-configuration बनायी गयी.
1)Common Base Configuration
जब input और output के बीच ट्रांजिस्टर base-terminal को common रखा जाता है। तब वह configuration, common-base configuration कहलाती है.
2) Common Emitter Configuration
जब इनपुट और आउटपुट के बीच emitter-terminal को common रखा जाता है. तब वह configuration, common-emitter configuration कहलाती है.
3) Common Collector Configuration
जब collector-terminal, input और output के बीच common रखा जाता है, तब वह configuration, common-collector configuration कहलाती है.
ध्यान रहे, Configuration चाहे कोई भी हो, ट्रांजिस्टर हमेशा active mode में काम करेगा। Active mode का अर्थ है की base-emitter junction हमेशा forward-biased और collector-base junction हमेशा reverse-biased रहेगा।
Transistor Kya Kaam Karta Hai? | What is the use of Transistor in Hindi?
ट्रांजिस्टर इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र में एक छोटा-सा component है. लेकिन, बहुत powerful है. यह दो बहुत important काम करता है. पहला signals को amplify करने का, दूसरा switch की तरह.
Transistor as Amplifier in Hindi
ट्रांजिस्टर, बहुत ही कम electric करंट (input current) को amplify करके एक large amount of current (output current) produce करता है.
इसका सबसे अच्छा उदाहरण कानों में प्रयोग की जाने वाली मशीन (hearing aids) हैं.
क्या, आपने कभी सोचा है की कैसे hearing aids लगाने से किसी व्यक्ति को सुनायी देना शुरू हो जाता है. चलिए, हम आपको बताते हैं,
क्योंकि, Hearing aids में माइक्रोफोन लगा होता है, जो हमारे आस-पास की आवाज को रिसीव कर, उसको करंट में बदलता है. यह electric current ट्रांजिस्टर को pass की जाती है, और यह इलेक्ट्रिक करंट को amplify करता है और उसको loudspeaker को pass करता है. इस प्रकार, व्यक्ति एक आवाज सुन पाता है.
Transistor as a Switch in Hindi
क्या आप जानते हैं, ट्रांजिस्टर का उपयोग switch की तरह भी किया जाता है. Switching mode में, ट्रांजिस्टर signal को amplify नहीं करता है, चाहे transistor को दी जाने वाली current को आप कितना भी increase कर दो.
यह हम आगे के article में समझेंगे की transistor saturation mode में कैसे जाता है, कैसे transistor एक mechanical switch की तरह काम करता है.