GPS का फुल फॉर्म क्या है? (What is the Full Form of GPS in Hindi?)

आज से कई सालों पहले लोग सूरज की location, हवा और तारों की दिशा को देखकर, location और direction का पता लगाया करते थे. जब भी वे यात्रा पर जाते तब वे इन्हीं चीज़ों की मदद से अपने निर्धारित स्थान पर पहुंच जाया करते थे. लेकिन, कई बार ज्ञान की कमी की वजह से वे रास्ता भी भटक जाया करते थे. शायद, उनके लिए इन चीज़ों से सही direction का पता लगाना मुश्किल था.

कुछ समय बाद, सही direction का पता लगाने के लिए Compass का अविष्कार हुआ. कम्पास ने लोगों को सही destination पर पहुँचाने में काफी हद तक मदद की.

जैसे -जैसे लोगों की जरूरत बढ़ने लगी, वैसे-वैसे अविष्कार होने लगा और फिर, सबसे पहले अमेरिका (USA) ने launch किया एक ऐसा डिवाइस, जिसने सबकी जिंदगी बदल दी. वह डिवाइस है, GPS.

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अक्सर लोग एक प्रश्न पूछते हैं की GPS कैसे हमारी direction को बता देता है. आज, इस आर्टिकल में हम जानेंगे की, GPS क्या है और कैसे काम करता है? GPS ka full form kya hai (What is the Full Form of GPS in hindi?). आइये, जानते हैं,

GPS क्या है? (What is GPS in Hindi?)

विज्ञान द्वारा GPS, एक ऐसा system तैयार किया गया है, जिसकी मदद से आप यात्रा के दौरान किसी भी नयी जगह को आसानी से trace या ढूंढ सकते हैं. आसान भाषा में, GPS का उपयोग, direction बताने, location को track करने के लिए किया जाता है.

आजकल, तो GPS इतना advance हो चुका है की वह आपको train का time और कहाँ कितना traffic है, यह भी बताता है.

GPS का पूरा नाम क्या है? (What is the Full Form of GPS in Hindi?)

GPS का पूरा नाम Global Positioning System है. जैसा की, इसके नाम से ही स्पष्ट है की यह एक ऐसा system है जो Globally आपकी मदद करता है, किसी भी Position यानी location को ढूंढ़ने में.

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GPS Module/GPS Components in Hindi 

जीपीएस module को तीन भागो में विभाजित किया गया है-

  1. Space Segment
  2. Control Segment
  3. User Segment

1) Space Segment

स्पेस segment में बहुत सारे सैटेलाइट्स हैं, जो यूजर को सिग्नल्स भेजते हैं. यह सैटेलाइट्स पृथ्वी से २०,२०० किलोमीटर की ऊंचाई पर Medium Earth Orbit (MEO) में घुमते रहते हैं. एक दिन में दो बार यह पृथ्वी का चक्कर लगाते हैं.

पृथ्वी के चारों ओर २४ satellite छोड़े गए हैं. किसी भी यूजर को अपनी exact location पता करने के लिए कम से कम 3 या 4 सैटेलाइट्स की जरूरत पड़ती है.

वायुसेना को अपना coverage बनाये रखने के लिए २४ से भी ज्यादा सैटेलाइट्स की जरूरत पड़ती है.

2) Control Segment

यह segment पृथ्वी पर होता है, जो सिग्नल्स के transmission को मॉनिटर करता है, command भेजता है और data collect और send करने का काम करता है.

इस segment में एक Master Control Station होता है, जिसमे 16 मॉनिटरिंग sites, 11 कमांड और कण्ट्रोल ऐन्टेना होते हैं.

3) User Segment

इस segment में जीपीएस का उपयोग यूजर के द्वारा किया जाता है. जीपीएस रिसीवर, प्रत्येक मोबाइल फ़ोन, लैपटॉप, vehicles (car, bike etc.) में लगा होता है. यूजर की लोकेशन का पता लगाने के लिए, रिसीवर सिग्नल्स को जीपीएस सैटेलाइट्स से receive करता है.

यूजर की exact location को पता करने के लिए कम से कम 3 या 4 सैटेलाइट्स की जरूरत पड़ती है.

जीपीएस कैसे काम करता है? (How Does GPS Work in Hindi?)

हमारी पृथ्वी 30 से भी ज्यादा सैटेलाइट्स द्वारा कवर की गई है. यह सैटेलाइट्स हर समय सिग्नल्स transmit करते रहते हैं. हमारे Mobile phone, laptop या vehicles (like, car, bike) में लगे GPS रिसीवर की मदद से हम किसी भी location को ढूंढ सकते हैं.

Exact location को पता लगाने के लिए कम से कम 3 सैटेलाइट्स की जरूरत पड़ती है. क्योंकि, यह सैटेलाइट्स हर समय अपना सिग्नल भेजते रहते हैं, तो जब भी कभी आप अपने फ़ोन के GPS रिसीवर को ON करते हैं, तो वह सिग्नल को रिसीव करता है, और आपको exact location दिखाता है. यह सिग्नल light की speed से travel करते हैं.

आइये, इस process को एक example से समझते हैं,

मान लीजिये, आप एक receiver हैं, जिसे हम User-1 का नाम दे रहे हैं और तीन सैटेलाइट्स S1, Sऔर Sहैं. (जैसा की चित्र में दिखाया गया है.)

यह तीनो सैटेलाइट्स सिग्नल भेजते हैं, यानी यह तीनों सैटेलाइट् एक area को spherical shape में कवर करते हैं. (जैसा की चित्र में दिखाया गया है.)

इन तीनों सैटेलाइट् के द्वारा हमें एक intersection point मिला, जिसमें user-1 है. इस process को हम trilateration process भी कहते हैं.

जीपीएस का इतिहास (History of GPS in Hindi)

जीपीएस की उत्पत्ति तब हुई, जब वैज्ञानिक रेडियो सिग्नल में बदलाव के कारण सैटेलाइट् को ट्रैक कर सकते थे. जिसे डोप्पलर प्रभाव भी कहते हैं.

परमाणु मिसाइल ले जाने, पनडुब्बियों को ट्रैक करने के लिए, अमेरिकी नौ -सेना ने 1960 में experiments शुरू किये। 6 सैटेलाइट्स की मदद से पनडुब्बियों को पता करने में अमेरिकी नौ सेना सफल रही. साल 1978, में Department of Defence (DoD) ने अपना पहला navigation system i.e. NAVSTAR लॉन्च किया। 1993 तक, 24 सैटेलाइट्स लॉन्च कर दिए गए. लेकिन, इनका उपयोग सिर्फ military द्वारा ही किया जा सकता था.

1983 में, एयर फ्लाइट 007 के रास्ता भटकने के बाद, रूसियों द्वारा एक मिसाइल छोड़ गई. उन्हें लगा की यह कोई दुश्मन देश का प्लेन है. इस घटना के बाद राष्ट्रप्रति Reagan  ने सभी विमानों को जीपीएस का प्रयोग करने की सलाह दी.

साल 1995 में, 27 सैटेलाइट्स के साथ जीपीएस का काम पूरा हुआ. जिसमें से 24 सैटेलाइट् active थे और 3 सैटेलाइट्स का प्रयोग ऐसे किया गया की, यदि इन 24 में से कोई ख़राब हो तो उनके replacement के लिए.

साल 1994, में बिल किलंटन ने यह announcement किया की airlines जीपीएस को free में जारी रख सकती है.

2001 में GPS technology इतनी सस्ती हो गई की, इन्हें vehicles में प्रयोग किया जाने लगा.

2004 में Qualcomm ने एक cellular experiment किया, जिसमें cellular signal के साथ GPS signal का उपयोग किया जा सकता है, और यूजर अपने स्थान का पता लगा सकते हैं.

2005 में GPS की पहली पीढ़ी, “Block-II” Launch किया गया है.

2011 में वायु सेना ने “Block-II” satellite को launch किया।

2012 में total 31 सैटेलाइट्स है. लेकिन, earth को cover करने के लिए केवल 24 सैटेलाइट् की जरूरत है. 4 सैटेलाइट् मदद करेंगे, यदि 24 सैटेलाइट्स में से कोई खराब होता है.

GPS IIF-3 को 4 अक्टूबर को launch किया गया.

जीपीएस के उपयोग (Application of GPS in Hindi)

GPS का उपयोग कई applications में किया जाता है,

ट्रैकिंग (Tracking )

आजकल, GPS प्रत्येक व्यक्ति के मोबाइल फोन में in-built होता है. मोबाइल फोन के आलावा GPS कारों में भी लगा देखने को मिलेगा। जिसकी मदद से आप किसी भी डिवाइस को या कार को track कर सकते हो.

सुरक्षा (Security)

इस समय महिलाओं की सुरक्षा एक बहुत बड़ामुद्दा है. अक्सर, ऐसा होता है की महिलाओं को घर आने में देर हो जाती है. तो हम सभी चिंतित हो जाते हैं. ऐसे में GPS की मदद से, आप उन्हें ट्रैक कर सकते हैं या वो आपसे अपनी location शेयर कर सकती हैं.

Wireless Sensor Networks (WSNs)

GPS का उपयोग, सबसे ज्यादा WSNs के क्षेत्र में किया जाता है. इस क्षेत्र में Sensor को GPS के साथ built किया जाता है. इन sensor nodes को beacon nodes कहा जाता है. इन nodes की मदद से वैज्ञानिक किसी भी crucial environment में study कर सकते हैं. जैसे- घास में आग लग जाना (Bushfire), पानी के अंदर (Underwater) आदि.

बैंकिंग क्षेत्र (Banking Area)

GPS, बैंकिंग में एक बहुत महत्वपूर्ण काम करता है. Online/Electronic Fund Transfer करने के लिए GPS बहुत महत्वपूर्ण है. हमारे ATM में GPS है.

उड़ान में (Aviation)

GPS का उपयोग aviation में किया जाता है. नहीं समझे, Airplane की direction, GPS की मदद से तय किया जाता है या landing के समय पर या मौसम के ख़राब होने की सूचना GPS द्वारा प्राप्त की जाती है.

उम्मीद है की इस आर्टिकल को पढ़ कर आपको अच्छे से समझ आया होगा की GPS kya hai? GPS kya hota hai in Hindi? GPS ka pura naam kya hai? GPS full form in Hindi. GPS कैसे काम करता है? Aplications of GPS in Hindi आदि.

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