कभी आपने multiplex के बारे में सुना है. अरे हाँ, वही जहाँ हम movies देखने जाते हैं. सोचा है कभी की उस जगह को multiplex क्यों कहा जाता है. नहीं पता, चलिये हम बता देते हैं,
क्योंकि, वहाँ एक साथ कई movies दिखायी जा सकती हैं. वहां पर कई थियेटर होते हैं. अब आपने जिस भी मूवी को देखने का टिकट लिया है, आप उस मूवी को देख सकते हैं.
बिल्कुल, इसी तरह Digital Electronics में Multiplexer काम करता है. मल्टीप्लेक्सर में एक समय पर कई इनपुट लाइन्स अपना इनपुट भेजती हैं, जिस तरह से अपने मूवी को सेलेक्ट करके उसका टिकट खरीदा। बिल्कुल, उसी तरह, मल्टीप्लेक्सर में भी इनपुट सिलेक्शन लाइन्स होती हैं. इन्हीं selection lines के basis पर output produce होता है.
Multiplexer और demultiplexer दोनों ही एक combinational circuit है. जिसमें 2n input lines, n-selection lines और एक output line होती है.
Multiplexer को data selector भी कहते हैं. इसका short form “MUX” होता है.
अन्य combinational circuit Encoder kya hai, Adder Kya Hai? के बारे में पढ़ें।
Table of Contents
मल्टीप्लेक्सर का चिन्ह | Symbol of Multiplexer
मल्टीप्लेक्सर के फायदे | Advantage of Multiplexer in Hindi
- Multiplexer का प्रयोग करने से wires की complexity कम हो जाती है, जिसकी वजह से किसी भी circuit की cost भी कम हो जाती है.
- Analog switching current के कारण Dissipation of heat बहुत कम होती है.
- MUX की मदद से कई combinational circuit implement किये जा सकते हैं.
- इसमें Simplification के लिए K-MAP की जरूरत नहीं पड़ती है.
मल्टीप्लेक्सर के नुक्सान | Diadvantages of Multiplexer in Hindi
- Switching ports में delay produce होता है.
- एक समय पर कई ports को प्रयोग करने की limit है.
- Multiplexer को control करने के लिए extra input/output की जरूरत पड़ती है.
- जो भी इनपुट और आउटपुट सिग्नल्स मल्टीप्लेक्सर के through travel करते हैं, उनके propagation में delay होता है.
मल्टीप्लेक्सर के उपयोग | Application of Multiplexer
- मल्टीप्लेक्सर का उपयोग communication सिस्टम (जैसे- telephone, satellite) में किया जाता है. यह एक डाटा सिलेक्टर की तरह काम करता है, जो की कई input data (जैसे- audio, video आदि) में से किसी एक input data को select करके transmit करता है.
- MUX का उपयोग कंप्यूटर मेमोरी में किया जाता है. इसका उपयोग करने से copper wires कम use होता है. फलस्वरूप, circuit कम complex होता है.
- मल्टीप्लेक्सर का उपयोग, Data Acquisition System, A to D Converter, D to A Converter, parallel to serial conversion और data routing में किया जाता है.
मल्टीप्लेक्सर कितने प्रकार के होते हैं? | What are the Types of Multiplexer in Hindi?
1) 2 to 1 Multiplexer
2 × 1 multiplexer में 2 input line (2 इनपुट बिट्स), 1 output line (1 आउटपुट बिट) और 1 selection line (2 सिलेक्शन बिट) होती है. नीचे बने चित्र को देखें, इसमें Io और I1 depend करती है, Selection line (S) पर. जब S =o होता है, तो I0 bit transfer होती है, और जब S=1 होता है, तो I1 bit transfer होती है.
अब Truth -Table से समझिये,
2:1 Mux Truth-Table
Selection Line (S) | Output (Y) |
0 | I0 |
1 | I1 |
Case 1: जब S=0, तब Output Y = I0
Case 2: जब S=1, तब Output Y = I1
आइये, अब output (Y) का expression लिख लेते हैं,
Y = S’.Io + S.I1
मुझे लगता है की आप Logic gates पढ़ चुके होंगे, यदि आपने logic gates के बारे में नहीं पढ़ा है, तो पहले उसको अच्छे समझ लें. क्योंकि, अब हम ऊपर लिखी हुई equation को AND, OR और NOT gate की मदद से implement करते हैं।
2) 4 × 1 Multiplexer
इस multiplexer में 4-input lines (22 ), एक output line और 2-selection line होती हैं. Selection line (S0, S1) ही select करती हैं की एक समय पर कौन सी input line की information, transfer होगी।
आइये, 4×1 mux के truth table को देखते हैं,
4×1 Mux TruthTable
S1 | S0 | Y |
0 | 0 | I0 |
0 | 1 | I1 |
1 | 0 | I2 |
1 | 1 | I3 |
जब सिलेक्शन लाइन S0, S1 जीरो होने पर, इनपुट लाइन I0 का इनफार्मेशन आउटपुट पर ट्रांसफर होगा। बिल्कुल, इसी प्रकार, S0 = 0, S1 = 1 होने पर इनपुट लाइन I1 का इनफार्मेशन आउटपुट पर जायेगा। आइये, Truth-table की मदद से 4 ×1 mux की logical equation को लिख लेते हैं,
Y = S1‘.S0‘.I0 + S1‘.S0.I1 + S1.S0‘.I2 + S1.S0.I3
अब इस प्राप्त equation को AND, OR और NOT gate की मदद से implement करते हैं,
3) 8 to 1 Multiplexer
इस मल्टीप्लेक्सर के नाम से ही समझ आ रहा होगा की इसमें 8-information lines और 1-output line होती है. अब बात आती है की इनमे से कौन से input line का information, आउटपुट पर ट्रांसफर होगा यह निर्भर करता है की कितनी सिलेक्शन लाइन हैं. इस मल्टीप्लेक्सर में 2n = total input/informational lines हैं.
यानी total input lines =8
2n = 23
n = 3
यानी इस मल्टीप्लेक्सर में 3 सिलेक्शन लाइन होंगी और इन्हीं के आधार पर input line select होगी, और आपको output मिलेगा।
8 to 1 Multiplexer Truth Table
S2 | S1 | S0 | Output (Y) |
0 | 0 | 0 | I0 |
0 | 0 | 1 | I1 |
0 | 1 | 0 | I2 |
0 | 1 | 1 | I3 |
1 | 0 | 0 | I4 |
1 | 0 | 1 | I5 |
1 | 1 | 0 | I6 |
1 | 1 | 1 | I7 |
अब truth-table की मदद से 8 × 1 Multiplexer की equation लिखते हैं,
Y = S2’S1’S0’I0 + S2’S1’S0I1 + S2’S1S0’I2 + S2’S1S0I3 + S2S1’S0’I4 + S2S1’S0I5 + S2S1S0’I6 + S2S1S0I7
जैसे 4 × 1 mux को लॉजिक गेट की मदद से implement किया था, बिल्कुल वैसे ही 8 × 1 mux को implement करते हैं.
जिस तरीके से 4 ×1 multiplexer और 8 × 1 multiplexer को implement किया है, वैसे ही आप 16 × 1 multiplexer और 32 × 1 multiplexer को implement कर सकते हो. लेकिन हम यहाँ 16 × 1 multiplexer को Multiplexer Tree के concept से design करते हैं. आइये, समझते हैं की Multiplexer Tree किसे कहते हैं?
मल्टीप्लेक्सर ट्री क्या है? | What is Multiplexer Tree in Hindi?
इस multiplexer tree में higher-order mux (जैसे 8 × 1 Mux या 16 × 1 Mux) को lower-order mux (जैसे- 4 × 1 Mux और 2 × 1 Mux) की मदद से design करते हैं.
उदाहरण के लिए,
मान लीजिये, आपको 2 × 1 mux की मदद से 4 × 1 mux design करना है, तो सवाल यह है की हमें कितने 2 × 1 mux की जरूरत पड़ेगी।
यह जानने के लिए, higher order Mux (यानी 4 × 1 mux) के 4 को lower order mux (यानी 2 × 1 mux) के 2 से divide करेंगे और तब तक divide करेंगे, जब तक भागफल (dividend) 1 से कम न आ जाये।
4 / 2 = 2 (इस प्राप्त भागफल को फिर 2 से divide करेंगे)
2 / 2 = 1
1 /2 = ०.5
हम देख सकते हैं की प्राप्त भागफल 0.5, 1 से कम है, तो अब हम आगे divide नहीं करेंगे और इस process को यहीं रोक देंगे।
प्राप्त result 2 और 1 को जोड़ने पर हमें 3 प्राप्त होता है. जिसका अर्थ यह है की 4 × 1 mux को design करने के लिए 3, 2× 1 mux की जरूरत पड़ेगी।
इसी प्रकार, यदि आप 16 × 1 mux को 8 × 1 mux की मदद से design कर रहे हैं,
16 / 8 = 2
2 / 8 < 1
16 × 1 mux को design करने के लिए दो 8 × 1 mux और एक 2 × 1 mux की जरूरत पड़ेगी।
आइये, अब इसे design करते हैं. एक important चीज, हम selection lines के बारे में बताना तो भूल ही गए.
16 × 1 mux को बनाने के लिए 4 selection-lines की जरूरत पड़ेगी।
सबसे पहले दो 8 × 1 mux बनायें। नीचे बने चित्र में आप देख रहे होंगे की 3-selection lines हैं, जो दोनों mux में common है. अब देखिये, जब S3 S2 S1 = 0 0 0 input दिए जाते हैं, तब I0 और I8 information-line, आउटपुट पर प्राप्त होगी।
जब S0 = 0 होगा, तो output (Y) = I0 प्राप्त होगा।
जब S1 = 1 होगा, तो output (Y) = I8 प्राप्त होगा।
इसी प्रकार, S3 S2 S1 = 0 0 1 होगा, तब Mux1 से I1 और Mux2 से I9 , Mux3 में जायेगा।
जब S0 = 0 होगा, तब I1 bit output पर मिलेगी।
जब S1 = 1 होगा, तब I9 bit output पर मिलेगी।
Truth Table of 16 × 1 Multiplexer
S0 | S1 | S2 | S3 | Y |
0 | 0 | 0 | 0 | I0 |
0 | 0 | 0 | 1 | I1 |
0 | 0 | 1 | 0 | I2 |
0 | 0 | 1 | 1 | I3 |
0 | 1 | 0 | 0 | I4 |
0 | 1 | 0 | 1 | I5 |
0 | 1 | 1 | 0 | I6 |
0 | 1 | 1 | 1 | I7 |
1 | 0 | 0 | 0 | I8 |
1 | 0 | 0 | 1 | I9 |
1 | 0 | 1 | 0 | I10 |
1 | 0 | 1 | 1 | I11 |
1 | 1 | 0 | 0 | I12 |
1 | 1 | 0 | 1 | I13 |
1 | 1 | 1 | 0 | I14 |
1 | 1 | 1 | 1 | I15 |
उम्मीद है की इस आर्टिकल में आपको अच्छे से समझ आ गया होगा, Multiplexer Kya Hai (What is Multiplexer in Hindi). यदि फिर भी आपका कोई अन्य प्रश्न हो तो हमें कमेंट बॉक्स में लिखें। अपने दोस्तों, मित्रों, classmates आदि के साथ इस आर्टिकल को शेयर करना न भूलें।