आइये, जानते हैं, Diode kya hota hai? (What is a diode in Hindi?)
Diode दो शब्दों से मिलकर बना है- Di और Electrode. जहाँ, Di का अर्थ है दो और electrode का मतलब है टर्मिनल (सिरे). यानि डायोड दो टर्मिनल वाला component है. डायोड के दो टर्मिनल: Anode और Cathode.
Anode, Diode का positive terminal होता है और Cathode, Diode का negative terminal होता है.
यह एक unidirectional device है अथार्त यह धारा(current) को एक ही दिशा में flow करता है और opposite दिशा में धारा के बहाव को रोकता है.
Diode की खोज रसैल आल द्वारा, साल 9004 में की गई थी.
Diode एक semiconductor (अर्द्धचालक) device है. यह p-type material और n-type material को जोड़कर बनाया जाता है. इसीलिए इसे pn junction diode भी कहते हैं. आशा है की आपको समझ आ गया होगा की pn junction diode kya hota hai? (What is pn junction diode in hindi?)
जैसा की हम जानते हैं की P-type material में holes यानी positive charges की अधिकता होती है और N-type material में इलेक्ट्रॉन्स यानी negative charges की अधिकता होती है.
Table of Contents
डायोड का चिन्ह | Diode ka Symbol
निचे दिए गए चित्र में आप डायोड का चिन्ह (Symbol of Diode) देखें,
Experiments में प्रयुक्त होने वाला डायोड,
डायोड के उपयोग | Diode Uses in Hindi
(1) Diode को Rectifiers में प्रयोग किया जाता है.
(2) Demodulators में डायोड का उपयोग किया जाता है.
(3) Clamping और clipping circuits में Diode प्रयुक्त होता है.
(4) Voltage Regulators में डायोड का उपयोग होता है.
(5) TV receivers, Oscillators आदि में भी डायोड का प्रयोग होता है.
डायोड के प्रकार (Diode Ke Prakar)/Types of Diode in Hindi
डायोड कई प्रकार के होते हैं. यह सभी डायोड अर्द्धचालक (semiconductor) पदार्थ (material) से बने होते हैं.
(1) Zener Diode
(2) Light Emitting Diode (LED)
(3) Tunnel Diode
(4) Varactor Diode
(5) Photo Diode
(6) Schottky Diode
(7) Shockley Diode
(8) Laser Diode
डायोड क्या है, यह आप जान चुके हैं. पर डायोड कैसे काम करता है? यह जानने से पहले, मैं, यह उम्मीद करती हूँ की आप लोग पढ़ चुके होंगे की निज अर्धचालक (intrinsic semiconductor) और बाह्य अर्धचालक (extrinsic semiconductor) क्या है?
PN जंक्शन डायोड कैसे कार्य करता है? (PN Diode Working in Hindi)
हम PN-Junction Diode को Semiconductor Diode भी कहते हैं, क्योंकि यह सेमीकंडक्टर material जैसे: सिलिकॉन (Si) और जर्मेनियम (Ge) जैसे तत्वों से बना होता है.
(a). जब कोई वोल्टेज (voltage) apply नहीं की जाती है तो उस स्थिति को हम unbiased या Unbiasing/No-Bias/ Zero-Bias कहते हैं.
जैसा की हम जानते हैं की P-type region में Holes की अधिकता होती है और N-type region में मुक्त Electrons की अधिकता होती है.
जब एक P-type region और N-type region कांटेक्ट में आते हैं तब P-region के majority carriers यानी Holes N-type region में diffuse होने लगते हैं. और N-type region के majority carriers यानी electrons, P-type region में diffuse होने लगते हैं.
जब N-type region के इलेक्ट्रॉन्स, P-type region में Holes के साथ recombine होते हैं तो ऋणात्मक (negative) ions बनने लगते हैं.
इसी प्रकार, जब P-type region के holes, N-type region में इलेक्ट्रॉन्स के साथ कंबाइन होते हैं तो धनात्मक (positive) ions बनने लगते हैं. यह ions P-type region और N-type region के junction पर एकत्रित होने लगते हैं. Negative और positive ions के एकत्र होने से एक layer बनने लगती है जिसे depletion layer या depletion region (जैसा की चित्र में दिखाया गया है) कहते हैं.
Depletion layer के बनने के बाद diffusion की क्रिया (process) होना बंद हो जाती है. क्योंकि P-region में मौजूद holes और N-region में मौजूद मुक्त (free) इलेक्ट्रॉन्स के पास इतनी energy नहीं होती है की वह depletion layer को पार कर पाएं।
(b). जब P-type region को battery के धनात्मक (positive) सिरे से और N-type region को बैटरी के ऋणात्मक (negative) सिरे से जोड़ा जाता है तो वह Forward Biasing कहलाती है.
जब बैटरी के धनात्मक (positive) सिरे को P-region से और ऋणात्मक (negative) सिरे को N- region से जोड़ा जाता है तो शुरुआत में कोई भी करंट नहीं बहती। ऐसा इसीलिए क्योंकि बाहरी तरफ से दी जाने वाली voltage, potential barrier से अधिक नहीं होती।
यदि applied Voltage, Potential Barrier से अधिक है तो majority charge carriers potential barrier को पार करने लगते हैं. सिलिकॉन के लिए, Potential barrier 0.7 V और जर्मेनियम के लिए potential barrier 0.3V होता है. जिसके फलस्वरूप धारा बहने लगती है.
जैसे- मानो, टीवी को चलाने के लिए 120V की जरूरत है तो यदि वोल्टेज 120V से कम होगी तो टीवी on नहीं होगा। बिल्कुल, उसी प्रकार डायोड को working state में लाने के लिए बाहरी तरफ से दी जाने वाली वोल्टेज (External voltage) potential barrier यानी 0.3 V (Ge) या 0.7 V (Si) से अधिक होनी चाहिए।
(c). जब P-region बैटरी के ऋणात्मक (negative) सिरे से और N-region बैटरी के धनात्मक (positive) सिरे से जोड़ा जाता है तो वह Reverse Biasing कहलाती है.
Reverse Bias Voltage देने पर electron और hole दोनों ही junction से दूर होते जाते हैं और immobile ions (positive ions और negative ions) छोड़ते हैं. फलस्वरूप, depletion-layer की चौड़ाई (width) बढ़ती जाती है. इस स्थिति में, कोई भी majority carriers, junction को cross नहीं कर पाते हैं. और बहुत कम मात्रा में current flow करती है. यह current minority carriers के कारण flow करती है और इस current को हम reverse saturation current भी कहते हैं.
यदि आप reverse bias voltage को बढ़ाते रहेंगे तो एक point ऐसा आएगा की डायोड permanently खत्म हो जायेगा।
Forward and Reverse Bias Characteristics of PN Junction Diode in Hindi
डायोड का लाक्षणिक वक्र (characteristics graph) voltage और धारा (current) के बीच का सम्बन्ध बताती है. कहने का अर्थ यह है की वोल्टेज बढ़ने पर धारा पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह हम ग्राफ के माध्यम से सिख सकते हैं.
Threshold Voltage/ Cut-in Voltage/Knee Voltage: एक ऐसी minimum Forward Bias वोल्टेज जो डायोड को Conduct करती है. Threshold Voltage कहलाती है.
यह वह वोल्टेज है जिसके बाद धारा (current) बढ़ने लगती है. सिलिकॉन (Si) के लिए Threshold Voltage 0.7 V और जर्मेनियम (Ge) के लिए threshold voltage 0.3 V होता है. इसे VTH या Vth से denote किया जाता है.
Breakdown Voltage: यह वह minimum reverse voltage है, जिसके बाद reverse में डायोड कंडक्ट करना शुरू कर देता है. इसे VBR से denote करते हैं.
डायोड समीकरण (Diode Equation in Hindi)
डायोड equation को Shockley equation भी कहते हैं.
जहाँ,
ID = Diode Current
Is = Reverse Saturation Current
VD= Applied Diode Voltage
η = Material Constant (इसकी range 1 और 2 के बीच में होती है. जर्मेनियम (Ge) के लिए इसकी value 1 होती है और Silicon (Si) के लिए इसकी value 2 होती है.
VT = Thermal Voltage और आप इसको ज्ञात कर सकते हैं,
VT = k.T/q
जहाँ, k = Boltzman Constant = 1.38 × 10^ -23 J/K
T = Absolute Temperature (Kelvins)
q = electronic charge परिमाण (magnitude) = 1.6 ×10^ -19 C
Diode Resistance Kya Hai?/What is Diode Resistance in Hindi
Real Diode या Practical Diode कभी भी पूर्ण चालक (conductor) या कुचालक (Insulator) की तरह काम नहीं करता है.
Ideal Diode का अग्र प्रतिरोध (Forward resistance) zero होता है और reverse resistance infinite होता है.
Real diode resistance को biasing के आधार पर दो भागों में विभाजित किया गया है.
(i). Forward Resistance
जब डायोड Forward biased होता है, उस स्थिति में प्राप्त resistance को Forward Resistance कहते हैं. यह दो प्रकार का होता है,
(a). DC or Static Forward Resistance
जब डायोड पर दी जाने वाली वोल्टेज सप्लाई DC होती है, तो प्राप्त resistance DC या Static resistance कहलाता है. इसे हम RF से denote करते हैं.
इस resistance को forward characteristics के किसी एक बिन्दु पर ज्ञात करते हैं (जैसा की चित्र में दिखाया गया है).
RF = Forward DC voltage / Forward DC Current
RF = OA / OC (बिंदु B पर)
(b). AC or Dynamic Forward Resistance
डायोड पर AC सप्लाई देने पर हमे जो resistance प्राप्त होता है, उसे Dynamic or AC Forward resistance कहते हैं. इसे rf से denote करते हैं. यदि आप निचे दिए गए ग्राफ को देखें तो धारा OC से CD में और voltage OA से AE में परिवर्तन हो रहा है.
(ii). Reverse Forward Resistance
जब डायोड reverse biased होता है, उस स्थिति में प्राप्त resistance को Reverse resistance कहते हैं. Reverse की value High होती है। यह भी दो प्रकार का होता है,
(a). DC या Static Reverse Resistance
(b). AC या Dynamic Reverse Resistance
Diode Capacitance in Hindi
Diode में दो प्रकार के capacitance होते हैं,
(a). Transition Capacitance
Capacitors electric charge को store करते हैं. यह charge दो plates द्वारा एकत्र किया जाता है जो की dielectric material से seprate होती हैं. Capacitor के इलेक्ट्रिक charge को स्टोर करने की क्षमता को capacitance कहते हैं.
यह capacitance हमे तब प्राप्त होता है जब डायोड रिवर्स बायस्ड होता है.
P-type और N-type region, capacitor की दो प्लेट्स की तरह काम करता है और depletion layer, dielectric medium की तरह.
जब हम रिवर्स बायस वोल्टेज अप्लाई करते हैं तो P-region से holes और N-region से electrons जंक्शन से दूर होते जाते हैं. जिसके कारण depletion layer की चौड़ाई (width) बढ़ती जाती है. और electric charge को स्टोर करने की क्षमता कम होती जाती है.
Transition capacitance को CT से denote करते हैं. इसका मान diffusion capacitance से कम होता है. इसे depletion region capacitance या जंक्शन capacitance या barrier capacitance भी कहते हैं.
CT = ε A /d
A = Plates का अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल (Cross-sectional area of Plates)
d = दो plates के बीच की दूरी
ε = विघुतशीलता (permittivity)
(b). Diffusion Capacitance
जब डायोड forward biased होता है, तब Diffusion Capacitance प्राप्त होता है. इस capacitance को storage capacitance भी कहते हैं. इसे CD से represent किया जाता है.
Diffusion capacitance का मान transition capacitance से बड़ा होता है. Depletion layer के पास minority charge carriers के एकत्र होने से diffusion capacitance प्राप्त होता है.
जब डायोड को फॉरवर्ड बायस्ड वोल्टेज दी जाती है तो n-टाइप region से इलेक्ट्रान, P-टाइप region की तरफ चले जाते हैं. और होल्स के साथ recombine हो जाते हैं.
इसी प्रकार, P-type region से holes, N-type region की तरफ चले जाते हैं और इलेक्ट्रॉन्स के साथ recombine हो जाते हैं. जिसके फलस्वरूप depletion layer की चौड़ाई कम होती जाती है.
ज्यादातर charge carriers एक region से दुसरे region में जाने की कोशिश करते हैं। Recombine होने से पहले charge carriers depletion layer के आस-पास एकत्र हो जाते हैं. जिसके कारण यह चार्ज depletion layer के दोनों तरफ इक्कठा हो जाता है. यह depletion layer, dielectric medium की तरह काम करता है और जो charge, depletion layer के दोनों तरफ एकत्रित है वह capacitive plates की तरह काम करता है.
Diffusion Capacitance, electric current के directly proportional होता है. यदि अधिक मात्रा में current diode से flow करेगी, उतनी ही अधिक मात्रा में charge, depletion layer की दोनों तरफ एकत्र होगा। जिसके फलस्वरूप large diffusion capacitance प्राप्त होगा।
Diffusion Capacitance की Range- नैनो-फैरड से माइक्रो-फैरड तक होती है.
Ideal Diode और Practical Diode में क्या अंतर है? (Difference Between Ideal Diode and Practical Diode)
1. Ideal diode को forward bias में कम मात्रा में voltage देने पर, high current मिलती है. जबकि Real/Practical diode में threshold voltage के बाद ही Current बढ़ना शुरू होती है.
2. Reverse Bias Condition में, Ideal Diode में कोई current नहीं होती है. जबकि Real Diode में Minimum Current मिलती है.
3. Ideal Diode का Forward Resistance जीरो होता है जबकि प्रैक्टिकल Diode का forward resistance zero नहीं होता है.
4. Reverse Bias Condition में, Ideal Diode का resistance infinite होता है जबकि Real Diode का resistance infinity नहीं होता है.
5. Ideal Diode एक perfect Conductor और insulator की तरह काम करता है जबकि रियल डायोड कभी भी न तो एक पूर्ण चालक या पूर्ण कुचालक की तरह काम करता है.
ध्यान रखने योग्य बिंदु
- धारा (current) हमेशा इलेक्ट्रान के opposite दिशा (direction) में बहती (Flow) है.
- Positive और negative ion, immobile (एक जगह से दूसरी जगह नहीं जा सकते) होते हैं.
Frequently Asked Questions
प्रश्न-1 Biasing क्या है?/ What is Biasing in Hindi?
उत्तर– बैटरी (battery) के सिरों (terminals) को diode या किसी दूसरे Semiconductor device से जोड़ने के क्रिया (process) Biasing कहते हैं.
उम्मीद है की आपको अच्छे से समझ आया होगा की Diode Kya Hota Hai? Diode kaise kaam karta hai? इस article में Diode से जुडी सम्पूर्ण जानकारी मिली होगी। यदि आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा तो कमेंट बॉक्स में अपने views लिखें।