आज हम इस पोस्ट में K-Map यानी Karnaugh Map के बारे में पढ़ेंगे। लेकिन, उस से पहले जरूरी है की आपको नंबर सिस्टम, बूलियन अलजेब्रा, और लॉजिक गेट्स के बारे में जानकारी हो. यदि आपको इन सब चीजों के बारे में पता नहीं है, तो आप पहले इनको पढ़ लें.
Karnaugh-Map (K-map) की खोज किसने की? | Who Developed Karnaugh Map in Hindi?
साल 1953 में, मौरिस कर्नौघ (Maurice Karnaugh), जो की एक टेलीकम्यूनिकेशन इंजीनियर थे, ने बेल प्रयोगशाला (Bell Labs) में डिजिटल लॉजिक पर आधारित टेलीफोन स्वीचिंग सर्किट्स को डिजाईन (design) करते समय Karnaugh-map (K-map) की खोज की.
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K-मैप की क्या उपयोगिता है? | What is the Use of K Map in Hindi?
कर्णघ (Karnaugh) मैप का उपयोग बूलियन लॉजिक functions को reduce यानी कम करने के लिए किया जाता है.
आप लोग सोच रहे होंगे की बूलियन अलजेब्रा (boolean algebra) का भी use, बूलियन फंक्शन को reduce करने के लिए किया जाता है. फिर, k-मैप क्यों?
Boolean algebra के मुकाबले, k-मैप ज्यादा आसान और fast method है, boolean functions को reduce करने के लिए.
जितना ज्यादा बूलियन फंक्शन को कम यानी reduce करेंगे, उस फंक्शन को design करने के लिए, उतने ही कम logic gates का प्रयोग करना होगा, लॉजिक गेट्स को बनाने के लिए उतने ही कम components का प्रयोग करना पड़ेगा। परिणामस्वरूप, switching circuits जैसे- multiplexer, adder, subtractor, demultiplexer, आदि का cost यानी price भी कम हो जायेगा।
Applications of K-Map in Hindi
- K-मैप का उपयोग डिजिटल कम्युनिकेशन सिस्टम (digital communication system) में output code में error को detect (कोड में गलती पता करने) करने और उनको correct यानी सही करने के लिए किया जाता है.
- Sequential Circuits और State Machines को design करने के लिये किया जाता है.
- Computer Science और Electrical Engineering में Boolean algebraic functions (equations) को manipulate यानी बदलने के लिए किया जाता है.
- डिजिटल सिग्नल प्रोसेसिंग (Digital Signal Processing), और switching circuits में Boolean functions को minimize करने के लिए किया जाता है.
- डिजिटल सिस्टम (digital system) में पावर (power) और performance को analyze और उसको optimize करने के लिए भी K-मैप का उपयोग किया जाता है.
K-Map क्या है? | K MAP Definition in Hindi
K-मैप एक graphical method है, जिसकी मदद से हम लम्बे boolean expressions को reduce कर सकते हैं. जिस से हमें minimal यानी छोटे से छोटा expression मिलता है.
Boolean expression जितना छोटा होगा, हमें उस expression की मदद से circuit को design करने के लिए, उतने ही कम logic gates और components का प्रयोग करना होगा।
जिस प्रकार, एक truth-table में, number of input और output variables होते हैं. ठीक उसी प्रकार, K-map में भी इनपुट और आउटपुट वेरिएबल्स होते हैं. K-map में यह value, array के cell में store होती है. यह एक graphical method है, जिसमे n variables के लिए, 2^n cells होते हैं.
Karnaugh Map से जो output produce होता है, वह SOP यानी Sum of Product या POS (Product of Sum) का expression होता है.
Product of Sum (PoS) के expression में 0’s का grouping किया जाता है, और Sum of Product (SoP) के expression के लिये 1’s का grouping किया जाता है.
K-Map की मदद से आप, जो output यानी Boolean Expression Produce करते हैं, वह unique हो यह जरूरी नहीं है. एक से अधिक simplified expression भी produce हो सकते हैं.
K Map कितने प्रकार के होते हैं? | Types of K-Map in Hindi
- 2-Variable K-Map
- 3-Variable K-Map
- 4-Variable K-Map
- 5- Variable K-Map
- 6-Variable K-Map
[1] 2 वेरिएबल K-मैप क्या है? | What is a 2-Variable K-Map in Hindi?
जैसा की इस k-map के नाम से ही स्पष्ट है की इसमें 2-वेरिएबल्स होते हैं, जैसे-A और B. 2-Variable K-मैप बनाने के लिए, यह जानना जरूरी है की इस K-Map में कितने cells होंगे? किसी भी K-map में cells की संख्या (number of cells) को जानने के लिये, नीचे दिये गये formula का प्रयोग करें।
Cells की संख्या (Number of Cells) = 2^n
जहाँ, n= number of Variables, कितने वेरिएबल का K-Map design करना है, 2 variablesका. तो हमें 2^2 =4 cells लगेंगे। नीचे बने चित्र को देखें,
जहाँ-जहाँ cell में 1 है, उसका SOP Expression f (A, B) = A’.B + A.B’ + A.B है. लेकिन, 2-Variable K-Map प्रयोग करने के बाद, expression reduce हो जायेगा (नीचे दिए गए चित्र को देखें).
देखिये, दोस्तों ऊपर चित्र में आप देख रहे होंगे की हमने 1 को एक आयताकार (rectangular) box में close यानी बंद किया है. सबसे पहली चीज की हम उन्हीं 1 को box में बंद करेंगे, जो या तो even यानी सम संख्या बना रहे होंगे। कहने का अर्थ यह है की या तो उस rectangular box में 2 बार 1 होगा, 4 बार 1 होगा, 8 बार एक होगा।
जिस भी बॉक्स में हम 1 को close करेंगे, वो या तो rectangualr shape बनाएगा या square.चलिये, ऊपर दिये 2-वेरिएबल K-Map से reduce SOP expression लिख लेते हैं.
f(A,B) = B + A
जितना छोटा एक्सप्रेशन होगा, उतने कम components और लॉजिक गेट्स का प्रयोग होगा। Circuit उतना छोटा बनेगा।
[2] 3-वेरिएबल कर्नौघ-मैप क्या है? | What is 3-Variable K-Map in Hindi?
3-variable k-map में 3 वेरिएबल्स use किये जाते हैं. जैसे- A, B और C. जरूरी नहीं है की वेरिएबल A, B, C ही हो, ये वेरिएबल कुछ भी हो सकते हैं. ये वेरिएबल X, Y, Z भी हो सकते हैं और P, Q, M भी हो सकते हैं.
चलिये, अब पता करते हैं की 3-variable k-map को design करने के लिये कितने cells की जरूरत पड़ेगी। क्या, आप बता सकते हैं की 3-वेरिएबल k-map को design करने के लिये कितने cells की जरूरत पड़ेगी।
cells की संख्या (number of cells) = 2^n
n = 3 (वेरिएबल्स की संख्या)
3 variable k- map में कुल cells की संख्या = 2^3 = 8
cells की संख्या पता करने के बाद अगला स्टेप आता है, k-map को draw यानी बनाने का.
नीचे दी गयी Truth-Table को देखें, इस table में numbers को Binary Number की form में लिखा गया है.
Number | Binary Number |
0 | 00 |
1 | 01 |
2 | 10 |
3 | 11 |
लेकिन, जब हम 3-वेरिएबल k-map को design करते हैं, (जैसा की चित्र में दिखाया गया है) तो 11 यानी 03 नंबर पहले आता है, और 02 यानी 10 बाद में आता है. ऐसा क्यों?
यदि आपको इसका उत्तर नहीं पता तो हम आपको बताते हैं. क्योंकि, इसमें gray-code use किया जाता है, इस वजह से 11 को पहले और 10 को k-मैप में बाद में लिखते हैं.
Gray-code में केवल 1-bit का ही change होता है, और जो बिट same होती हैं, वो change नहीं की जाती है. नीचे दिए गये चित्र में देखें।