इस से पहले, हम LED के बारे में बात करें, हम सभी ने घरों में light bulb तो देखा ही होगा।
क्या आप ने कभी सोचा है की यह बल्ब कैसे काम करता है?
Light Bulb में जब electrical current pass होती है. तब Filament गर्म हो जाता है और bulb से light निकलने लगती है. यानी पहले electrical energy, heat energy में बदलती है और फिर heat energy, light energy में convert हो जाती है.
या हम यह भी कह सकते हैं की यह electrical energy को light energy में convert करता है.
बिल्कुल, यही सिद्धांत LED में भी काम करता है.
Table of Contents
LED का पूरा नाम क्या है? | What is the Full Form of LED?
LED ka Full Form, “Light Emitting Diode” है. हिंदी भाषा में, इसे “प्रकाश उत्सर्जक डायोड” भी कहते हैं.
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LED क्या होता है? | What is LED in Hindi?
यह एक प्रकार का semiconductor diode है. जो की Forward Biased condition में काम करता है. यह visible या invisible light (infrared), produce करता है.
जब Light Emitting Diode, forward biased होता है. तब conduction band में मौजूद free इलेक्ट्रान, valence band के holes के साथ recombine होते हैं, और एक light produce करते हैं. इस process को electroluminescene कहते हैं.
प्रकाश उत्सर्जक डायोड का प्रतीक | What is the Symbol of LED?
Construction of Light Emitting Diode in Hindi
PN-junction Semiconductor diode की तरह ही LED भी P और N type semiconductor का प्रयोग करके बनायी जाती है.
जैसा की Extrinsic Semiconductor वाले आर्टिकल में पढ़ चुके हैं की P-type semiconductor में, holes की majority होती है और N-type semiconductor में electrons की majority होती है.
LED का working बिल्कुल डायोड की working के समान है. लेकिन, इन दोनों डायोड में एक छोटा सा difference है और वह है, इनमें प्रयुक्त होने वाला P और N type Semiconductor material.
Normal PN-junction diode में हम Si और Ge type सेमीकंडक्टर को प्रयोग करते हैं. जिनका energy band gap ०.3 V -0.6 V के बीच में होता है.
लेकिन, LED में ऐसा सेमीकंडक्टर material प्रयोग किया जाता है. जिसका band gap 1.8ev से 3ev के बीच में होता है. इसीलिए, इसमें compound material जैसे- gallium, arsenic और phosphorus को प्रयोग किया जाता है.
ऐसा क्यों होता है? क्या यही सोच रहे हैं, क्या आप?
ऐसा इसीलिए होता है, क्योंकि हमे वही Light visible होती है, जो red और violet के बीच में आती है. अगर, generate होने वाली frequaency visible लाइट की frequency से कम है, तो भी हमे लाइट दिखाई नहीं पड़ती है. और यदि उस से ज्यादा होगी तब लाइट visible नहीं होगी।
प्रकाश उत्सर्जक डायोड कैसे काम करता है? | How Light Emitting Diode Works?
LED में जब P-type के Semiconductor को बैटरी के positive सिरे से और N-type के semiconductor को बैटरी के negative सिरे से connect करते हैं. तब N-type सेमीकंडक्टर में मौजूद फ्री-इलेक्ट्रान, P-type सेमीकंडक्टर के holes के साथ combine होते हैं.
इस recombination process के कारण depletion layer, decrease होती है और यह energy, photons के रूप में release करते हैं.
Biasing of Light Emitting Diode in Hindi
हम जानते हैं की यह डायोड forward bias condition में काम करता है. 1V से 3V तक दी जाने वाली वोल्टेज पर LED perfectly काम करती है.
लेकिन, जब यह वोल्टेज 3V से ज्यादा होती है. तब Depletion layer खत्म हो जाती है, और electric current अचानक से बढ़ जाती है. अचानक से बढ़ती हुई current LED को पूरी तरीके से destroy कर देती है.
ऐसे में LED को Detsroy होने से बचाने के लिए voltage source और LED के बीच में एक Resistor (Rs) लगा देते हैं. इस resistor को Current Limiting Resistor कहते हैं. जो LED को destroy होने से बचाता है.
लूप में Kirchhoff’s Voltage Law लगाने पर,
Vs = IF . Rs + VD
IF = Vs – VD / Rs
जहाँ पर, IF = Forward Current, Vs = Voltage Source, VD = Voltage Drop Across LED, Rs = Resistor or Current Limiting Resistor
किसी भी LED के लिए Voltage Drop 2V से 3V के बीच में होता है.
Light Emitting Diode Characteristics
LED के द्वारा emit होने वाली light, flow होने वाली forward current पर depend करती है. जैसे-जैसे forward current को बढ़ाएंगे, वैसे-वैसे output light भी बढ़ती जाएगी।
LED में प्रयुक्त होने वाले material/ Light Emitting Diode Material
इसके construction में use होने वाला material पर LED का color depend करता है. LED से emit होने वाली light का color, प्रयोग किये जाने वाले Semiconductor material की wavelength और energy band gap पर depend करता है.
Materials | Color |
Gallium Arsenide (GaAs) | Red |
Gallium Nitride (GaN) | Blue |
Gallium Phosphide (GaP) | Green/Red |
Gallium Arsenide Phosphide (GaAsP) | Yellow |
Aluminium Gallium Phosphide (AllnGaP) | Yellow |
Advantages of Light Emitting Diode in Hindi
- यह power का बहुत ही कम consumption करता है.
- LED का size काफी छोटा होता है और इसका वजन भी कम होता है.
- यह काफी सस्ती होती है.
- किसी बल्ब के मुकाबले, LED का lifetimeभी ज्यादा होता है.
- LED का temperature range 0० से 70० C तक होता है.
- इसका switching time 1ns का होता है. यानी पलक झपकते ही यह on और off हो जाती है.
- LED से emit होने वाली light intensity को control किया जा सकता है.
- किसी भी electrical energy को light energy में बदलने की efficiency, एक टंगस्टन लैंप के मुकाबले 10 से 50 गुना ज्यादा होती है.
Disadvantages of Light Emitting Diode
- LED की Luminous efficiency कम होती है.
- एक limit से ज्यादा voltage बढ़ाने पर, यह destroy हो सकती है.
Application of Light Emitting Diode in Hindi
- घरों में प्रयोग होने वाले बल्बों में
- डिजिटल equipments में (जैसे- कंप्यूटर, घड़ी)
- माइक्रोप्रोसेसर
- Burglar Alarm System
- टीवी के रिमोट कण्ट्रोल में
- Traffic Signals
- Picture phone में
- मोबाइल फोन में मैसेज को डिस्प्ले करने के लिए LED का उपयोग किया जाता है.