निज या आंतरिक अर्द्धचालक क्या होते हैं? | What is Intrinsic Semiconductor in Hindi?

अक्सर लोग सीधे Diode, transistor, rectifier के बारे में जानना चाहते हैं. डायोड कैसे काम करता है? आप किसी भी device के बारे में अच्छे से तभी जान सकते हैं जब आपको उसका Basic पता होगा। हम सभी जानते हैं की डायोड अर्धचालक पदार्थों (Semiconductor material) से बना होता है. पर अर्धचालक (semiconductor) क्या होते हैं? यह कितने प्रकार के होते हैं? यह कोई नहीं जानता है.

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आज हम आपको बताएँगे की, semiconductor kya hai? Semiconductor kitne prakar ke hote hain? Intrinsic Semionductor in Hindi  क्या है? चलिए शुरू करते हैं,


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अर्द्धचालक किसे कहते हैं? | What is Semiconductor in Hindi?

यह एक ऐसा पदार्थ है जिसकी चालकता सुचालक (conductor) और कुचालक (insulator) पदार्थों के बीच में होती है.

या हम यह भी कह सकते हैं की इस पदार्थ में conductor और insulator दोनों के गुण पाए जाते हैं. सिलिकॉन (Si), जर्मेनियम (Ge), बोरोन (B), फोस्फोरोस (P) आदि अर्धचालक के उदाहरण हैं.

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क्योंकि अर्धचालक पदार्थों में conductor और insulator दोनों के गुण पाए जाते है तो प्रश्न यह उठता है की अर्धचालक कब insulator की तरह काम करेगा और कब conductor की तरह काम करेगा। नीचे बने चित्र को देखें,

Intrinsic Semiconductor in Hindi

कम तापमान पर, valence band में मौजूद इलेक्ट्रान के पास इतनी energy नहीं होती है की वो forbidden energy gap को पार कर conduction band में चले जाएँ। तो इस स्थिति में अर्धचालक या सेमीकंडक्टर पदार्थ एक कुचालक (insulator) की तरह काम करता है.

वहीँ दूसरी तरफ, जब सेमीकंडक्टर पदार्थों को उच्च तापमान पर रखा जाता है तो इलेक्ट्रॉन्स valence band से conduction band में चले जाते हैं. Conduction band में इलेक्ट्रॉन्स मुक्त अवस्था में रहते हैं. फलस्वरूप, सेमीकंडक्टर पदार्थ एक अच्छे सुचालक पदार्थ की तरह काम करता है.

अर्धचालक कितने प्रकार के होते हैं? | How Many Types of Semiconductor in Hindi?

अर्धचालक दो प्रकार के होते हैं,

  1. आंतरिक या निज या नैज अर्धचालक | Intrinsic Semiconductor in Hindi
  2. बाह्य अर्धचालक | Extrinsic Semiconductor in Hindi

बाह्य अर्धचालक दो प्रकार के होते हैं,

  1. P-Type Extrinsic Semiconductor
  2. N-Type Extrinsic Semiconductor

आंतरिक/नैज अर्धचालक क्या होते हैं? | What is Intrinsic Semiconductor in Hindi?

ऐसे semiconductor, जिनमे किसी भी प्रकार की अशुद्धि या अपद्रव्य (impurity) नहीं मिलाते हैं. Intrinsic Semiconductor कहलाते हैं.  इन्हें pure semiconductor भी कहा जाता है. जैसे- सिलिकॉन (Si), जर्मेनियम (Ge) और कार्बन (C) आदि.

हम सभी जानते हैं की सिलिकॉन और जर्मेनियम periodic table Group-IV में आते हैं. सिलिकॉन का atomic number 14 होता है और जर्मेनियम का atomic number 32 होता है.

intrinsic semiconductor in hindi

जैसा की हम जानते हैं की सिलिकॉन के पहले ऑर्बिट में दो इलेक्ट्रान, दूसरे ऑर्बिट में 8 इलेक्ट्रान और तीसरे और आखरी ऑर्बिट में 4 इलेक्ट्रान होते हैं (ऊपर दिए चित्र को देखें). क्योंकि अभी आखिरी orbit stable नहीं है तो इसको stable होने के लिए हमे 4 इलेक्ट्रान की जरूरत और पड़ेगी।

अब प्रश्न यह उठता है की 4 इलेक्ट्रान आएंगे कहाँ से? Balance या Stable होने के लिए सिलिकॉन के यह चार इलेक्ट्रान, पडोसी सिलिकॉन atom के इलेक्ट्रान के साथ साझेदारी (sharing) करेंगे (जैसा की निचे चित्र में दिखाया गया है) यानी सहसयोंजक बंध (Covalent-bond) बनाएंगे।

Intrinsic semiconductor in hindi

चालक पदार्थों (Conductor) में धारा (current) इलेक्ट्रॉन्स के गति करने से मिलती है. लेकिन अर्धचालक पदार्थों (semiconductor) में धारा electron और hole दोनों के कारण मिलती है.

इलेक्ट्रान के बहने से जो धारा (current) मिलती है उसे electron current कहते है. Holes के कारण जो धारा मिलती है उसे हम hole current कहते हैं.

क्या होता है, जब intrinsic semiconductor को 0 K ताप पर रखते हैं,

जब intrinsic semiconductor को 0 केल्विन temperature पर रखा जाता है तो उच्च ताप न मिलने से covalent bond टूटते नहीं हैं. फलस्वरूप, कोई भी इलेक्ट्रान मुक्त नहीं हो पाता है. और 0 केल्विन तापमान पर intrinsic semiconductor एक insulator की तरह काम करता है.

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क्या होता है, जब intrinsic semiconductor को 300 K ताप पर रखते हैं, 

जब intrinsic semiconductor को कमरे के तापमान पर रखते हैं तो बाहरी ऑर्बिट के इलेक्ट्रॉन्स को उष्मीय ऊर्जा (thermal energy) मिलती है. उष्मीय ऊर्जा मिलने से तापमान बढ़ने लगता है. Covalent bond टूटने लगता है और इलेक्ट्रान मुक्त होने लगते हैं.

Intrinsic semiconductor in hindi

मुक्त हुए इलेक्ट्रान के पास इतनी एनर्जी होती है की वे अब वर्जित ऊर्जा गैप (forbidden energy gap) को पार कर चालन ऊर्जा बैंड (conduction band) में चले जाते हैं.

जब इलेक्ट्रान valence band से conduction band में जाते हैं तो valence band में एक खाली जगह बन जाती है. इस खाली जगह को होल (hole) कहते हैं.

आतंरिक अर्धचालक में चालन | Conduction in Intrinsic Semiconductor

आइये, आंतरिक अर्धचालक में चालन (conduction) की क्रिया को समझते हैं,

Intrinsic Semiconductor in hindi

सबसे पहले intrinsic semiconductor को बैटरी से जोड़ते हैं (जैसा की चित्र में दिखाया गया है). अब होगा क्या की Covalent bond टूटेंगे, इलेक्ट्रॉन्स मुक्त होंगे और होल बनने लगेंगे।

इलेक्ट्रॉन्स बैटरी के धनात्मक सिरे (positive terminal) द्वारा आकर्षित किये जायेंगे। होल (Hole) बैटरी के ऋणात्मक सिरे (negative terminal) की तरफ आकर्षित होंगे। और धारा (current) बहने लगेगी।

ध्यान रहे, सुचालक पदार्थों (conductors) में धारा (current) केवल इलेक्ट्रॉन्स के कारण मिलती है. लेकिन अर्धचालक पदार्थों में धारा इलेक्ट्रॉन्स और होल दोनों के कारण मिलती है.

Intrinsic semiconductor में चालन बैंड (conduction band) में मौजूद इलेक्ट्रानों की संख्या, सयोंजी बैंड (Valence band) में मौजूद होल की संख्या के बराबर होती है.

इस सेमीकंडक्टर में कुल धारा (current), इलेक्ट्रान और होल के कारण मिलने वाली धारा के योग के बराबर होती है.

I = Ie + Ih

जहाँ, I = सेमीकंडक्टर में कुल धारा (Total current), Ie = इलेक्ट्रान धारा (Electron Current) , Ih = होल धारा (Hole Current)

आंतरिक अर्धचालक में फर्मी स्तर | Fermi Level in Intrinsic Semiconductor

फर्मी स्तर या fermi level एक ऐसा स्तर है जिसके बाद इलेक्ट्रान के conduction band में पाए जाने की सम्भावना होती है. किसी भी इलेक्ट्रान को valence band से conduction band में जाने में जो अधिकतम ऊर्जा (maximum energy) की आवश्यकता होती है उसे फर्मी ऊर्जा या Fermi Energy कहते है. इसे EF से दर्शाते हैं.

माना, तापमान (temperature) T केल्विन पर, conduction band में मौजूद इलेक्ट्रॉनों की संख्या nऔर valence band में मौजूद इलेक्ट्रॉनों की संख्या nहै,

कुल इलेक्ट्रॉनों की संख्या (n) = n + n         (1)

Assumptions:

(1) ऊर्जा बैंड यानी valence band और conduction band की चौड़ाई वर्जित ऊर्जा गैप (Forbidden Energy Gap) से कम होती है.

(2) Conduction और valence band में ऊर्जा का स्तर छोटा होता है.

(3) Valence band में ऊर्जा Eऔर Conduction band में ऊर्जा Eहै.

Conduction band में इलेक्ट्रॉनों की संख्या, n= n. P(EG)                         (2)

Fermi-Dirac probability distribution function का सूत्र,

P(E) = 1/ 1+ e(E – EF)/KT                                                                           (3)

P(EG) = इलेक्ट्रॉनों के ऊर्जा Eहोने की सम्भावना,

समीकरण (2) और (3) से,

n= n/ (1 + e(EG  – EF)/KT)                                                                        (4)

माना, Valence band में इलेक्ट्रॉनों की संख्या n= n. P(E0)                       (5)

क्योंकि Valence Band में मौजूद इलेक्ट्रॉनों का ऊर्जा का स्तर शून्य है, तो E= 0

समीकरण (3) और (5) से,

n= n/(1 +  e(0  – EF)/KT  )                                                                     (6)

समीकरण (5) और (6) से nऔर nका मान समीकरण (1) में रखने पर,

n = n / (1 + e(EG  – EF)/KT + n/ (1 + e(0  – EF)/KT )

n = n [1/ 1 + e(EG  – EF)/KT + 1/ 1 + e(– EF)/KT ]

1 – 1/ (1 + e(– EF)/KT ) = 1/ (1 + e(EG  – EF)/KT  )

[1 + e(– EF)/KT  – 1] / (1 + e(– EF)/KT ) = 1/ (1 + e(EG  – EF)/KT  )

e(– EF)/KT / (1 + e(– EF)/KT ) = 1/ (1 + e(EG  – EF)/KT  )

e(– EF)/KT ( (1 + e(EG  – EF)/KT ) = (1 + e(– EF)/KT )

e(– EF)/KT + e(EG  – EF)/KT . e(– EF)/KT  = 1 + e(– EF)/KT 

e(EG  – EF)/KT . e(– EF)/KT  = 1

e(EG  – 2EF)/KT = e0

(EG – 2EF) / KT = 0

EG – 2E= 0

E= E/2

इस समीकरण से यह सिद्ध होता है की फर्मी स्तर conduction band और valence band के बीच में होता है.

पुनः संयोजन की क्रिया का (Recombination process) क्या मतलब है?

जब अर्धचालक पदार्थों को ताप मिलता है तो इलेक्ट्रान और होल बनने लगते हैं. लेकिन साथ ही कुछ इलेक्ट्रान खाली जगह (hole) पर चले जाते हैं. तो इस क्रिया को पुनः संयोजन की क्रिया (recombination process) कहते हैं.

जब इलेक्ट्रान और होल आपस में दुबारा मिलते हैं तो इस क्रिया को recombination process कहते हैं.

इलेक्ट्रान और होल के बनने की दर (rate of generation of charge carriers), उनके पुनः संयोजन होने की दर (rate of recombination of charge carriers) के बराबर होती है.

आतंरिक और बाह्य-अर्धचालक में क्या अंतर है? | What is the Difference Between Intrinsic Semiconductor and Extrinsic Semiconductor in Hindi?

  1. Intrinsic Semiconductor, जिसे हिंदी भाषा में आतंरिक अर्द्धचालक भी कहते हैं, एक pure semiconductor होता है. कहने का मतलब यह है की इसमें किसी भी प्रकार की अशुध्दि (impurity) add नहीं की जाती है. लेकिन, वहीं Extrinsic Semiconductor, जिसे हिंदी भाषा में बाह्य-अर्द्धचालक भी कहते हैं, में पंचसयोंजक (pentavalent) और त्रिसंयोजक (trivalent) अशुद्धि (impurity) add की जाती है.
  2. Intrinsic semiconductor में इलेक्ट्रॉन्स और holes की (density यानी घनत्व) मात्रा एक समान होती है, यानी जितने free electron, conduction band में होते हैं, उतने ही holes, valence band में होते हैं. लेकिन, वहीं extrinsic-semiconductor में number of electrons और holes, एक समान मात्रा में नहीं होते हैं. P-type semiconductor में holes की मात्रा अधिक होती है, जबकि, N-type semiconductor में electrons की मात्रा अधिक होती है.
  3. आतंरिक अर्धचालक की विद्युत चालकता (electrical conductivity) कम होती है, जबकि बाह्य-अर्धचालक की विद्युत चालकता (electrical conductivity) अधिक होती है.
  4. Intrinsic semiconductor में विद्युत चालकता, केवल तापमान (temperature) पर निर्भर करती है. लेकिन, वहीं Extrinsic semiconductor में विद्युत चालकता तापमान और अशुद्धि (impurity) की मात्रा पर भी निर्भर करती है.

मेरी कोशिश रही है की आप लोगो को intrinsic semiconductor in Hindi टॉपिक अच्छे से समझ आया हो. अगर आप कुछ और जानना चाहते हों तो प्लीज कमेंट बॉक्स में लिखें।

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Q1: आंतरिक अर्धचालक शब्द का अर्थ क्या है?

Ans: ऐसे अर्धचालक, जिनमें किसी भी प्रकार की अशुद्धि यानी डोपिंग नहीं मिलाया जाता है. आंतरिक अर्धचालक कहलाते हैं.

Q2: आंतरिक अर्धचालक कितने प्रकार के होते हैं?

Ans: आतंरिक अर्धचालक का कोई प्रकार नहीं है.

Q3: आंतरिक और बाह्य अर्धचालक से आप क्या समझते हैं?

Ans: वे अर्द्धचालक, जिनमें किसी भी प्रकार की अशुद्धि नहीं मिलायी जाती है, आंतरिक अर्द्धचालक कहलाते हैं. लेकिन, वहीं जब किसी अर्धचालक में impurity यानी अशुद्धि add की जाती है. तब वह बाह्य अर्धचालक कहलाते हैं.

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