बाह्य अर्धचालक क्या है? | What is N Type and P Type Semiconductor in Hindi?

जब किसी आंतरिक अर्धचालक में कोई अशुद्धि (impurity) मिलायी जाती है तो उस अर्धचालक को बाह्य अर्धचालक या अपद्रव्य अर्धचालक कहते हैं और उस क्रिया को डोपिंग (doping) कहते हैं.

अब प्रश्न यह उठता है की आखिर, आंतरिक अर्धचालक में अशुद्धि मिलाने की जरूरत क्यों पड़ी? इसका सीधा-सा जवाब है- चालकता (conductivity). अशुद्धि (impurity) मिलाने से अर्धचालक पदार्थों की चालकता (conductivity) बढ़ जाती है. जैसा की हम जानते हैं की यदि चालकता बढ़ेगी तो धारा (current) का चालन अच्छे से होगा।

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बाह्य अर्धचालक कितने प्रकार के होते हैं? | How Many Types of Extrinsic Semiconductor in Hindi?

यह अर्धचालक दो प्रकार के होते हैं,

  • N type extrinsic semiconductor in Hindi
  • P type  semiconductor in Hindi

n टाइप अर्धचालक क्या है? | What is N type Semiconductor in Hindi?

आंतरिक अर्धचालक जैसे- सिलिकॉन (Si) और जर्मेनियम (Ge) में पंचसयोंजक (pentavalent) अशुद्धि मिलाने पर तैयार अर्धचालक को n-type अर्धचालक कहते हैं.

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आगे बढ़ने से पहले मैं पूछना चाहूंगी की क्या आप जानते हैं की पंचसयोंजक या pentavalent अशुद्धि (impurity) क्या होती है? चलिए, हम आपको बताते हैं, वे तत्व जिनके बाहरी कोश या valence shell में 5 electron होते हैं, पंचसयोंजक या pentavalent कहलाते हैं. वे तत्व हैं- आर्सेनिक (As), एंटीमनी, बिस्मथ, फोस्फोरोस (P) आदि.

जैसा की हम जानते हैं की सिलिकॉन के बाहरी कोश में 4 इलेक्ट्रान होते हैं. फॉस्फोरस जो की एक पंचसयोंजक अशुद्धि (pentavalent impurity) है, इसके बाहरी कोश में 5 इलेक्ट्रान होते हैं. जब फॉस्फोरसको सिलिकॉन में मिलाते हैं तो सिलिकॉन के  4 इलेक्ट्रान, फॉस्फोरस के 4 इलेक्ट्रान के साथ साझेदारी कर सहसयोंजक बंध (covalent bond) बनाते हैं. लेकिन फॉस्फोरस का पांचवां इलेक्ट्रान मुक्त रहता है.

p type semiconductor in hindi

मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या इस बात पर निर्भर करती है की कितनी मात्रा में अशुद्धि मिलायी जा रही है.

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n टाइप अर्धचालक में कुल इलेक्ट्रॉनों की संख्या (ntotal), अशुद्धि से मिले मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या (nimpurity) और सिलिकॉन के covalent bond टूटने से मुक्त हुए इलेक्ट्रॉनों की संख्या (nintrinsic )के योग के बराबर होती है.

ntotal = nimpurity + nintrinsic 

अब आप लोग सोच रहे होंगे की होल कहाँ से पैदा होंगे? तो दोस्तों, intrinsic semiconductor यानी सिलिकॉन के covalent bond टूटने से मुक्त हुए इलेक्ट्रान, जब सयोंजी बैंड (valence band) से  चालन बैंड (conduction band) में जायेंगे, तब valence band में होल generate होंगे।

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n टाइप अर्धचालक में इलेक्ट्रॉनों की संख्या अधिक होती है. लेकिन होल की संख्या कम होती है. इसीलिए, n-type semiconductor में इलेक्ट्रॉनों को majority charge carriers और holes को minority charge carriers कहते हैं.

ऐसा नहीं है की n type अर्धचालक में current केवल इलेक्ट्रॉनों के कारण मिलती है. हमें current इलेक्ट्रान और होल दोनों के कारण मिलती है. क्योंकि इलेक्ट्रॉनों की संख्या अधिक है तो हमे अधिकतम current इलेक्ट्रॉन्स के कारण मिलती है.

p टाइप अर्धचालक क्या है? | What is P Type Semiconductor in Hindi?

आंतरिक अर्धचालक में त्रिसयोंजी (trivalent) अशुद्धि मिलाने पर तैयार अर्धचालक को p-type अर्धचालक कहते हैं. वे तत्व जिनके बाहरी कोश या valence shell में तीन इलेक्ट्रान होते हैं त्रिसयोंजी या trivalent कहलाते हैं. वे तत्व हैं- बोरोन (B), गैलियम, इंडियम और  एल्युमीनियम (Al) आदि.

हम पढ़ चुके हैं की सिलिकॉन के बाहरी कोश में 4 इलेक्ट्रान होते हैं. बोरोन जो की त्रिसयोंजी अशुद्धि है, उसके बाहरी कोश में 3 इलेक्ट्रान होते हैं.  जब बोरोन (B) को सिलिकॉन (Si) के साथ मिक्स करते हैं तो  बोरोन के तीन इलेक्ट्रान सिलिकॉन के इलेक्ट्रान के साथ सहसयोंजी बंध बनाते हैं. लेकिन सिलिकॉन का एक इलेक्ट्रान सहसयोंजी बंध नहीं बना पता है.

p type semiconductor in hindi

क्योंकि, बोरोन के पास चौथा इलेक्ट्रान नहीं है तो सहसयोंजी बंध बनाने के लिए वो दूसरे atoms से इलेक्ट्रान उधार लेता है. लेकिन, जहाँ से वह इलेक्ट्रान लेता है, वहाँ एक खाली जगह बन जाती है. जिसे हम होल कहते हैं. इस प्रकार यह क्रिया चलती रहती है और होल्स बनते रहते हैं.

त्रिसयोंजी अशुद्धि (trivalent impurity) को acceptor impurity भी कहते हैं. क्योंकि, अपना आखिरी कोश पूरा करने के लिए उसको इलेक्ट्रान हमेशा दुसरे atom से लेना पड़ता है. लेकिन जब वह दुसरे atom से इलेक्ट्रान लेता है तो वह atom unabalance हो जाता है.

p टाइप semiconductor में holes अधिक मात्रा में पाए जाते हैं और इलेक्ट्रान कम मात्रा में पाए जाते हैं. धारा सयोंजी बैंड में उपस्थित holes के कारण मिलती है. इसीलिए, इस अर्धचालक में holes को majority charge carriers और electrons को minority charge carriers होते हैं.

Energy Band Diagram of N-type and P-Type Semiconductor in Hindi

N type semiconductor में fermi-level, conduction band के पास में होता है और P टाइप सेमीकंडक्टर में फर्मी लेवल valence band के पास होता है.

fermi level in n type and p type semiconductor in hindi
N type और P type semiconductor का फर्मी लेवल

Fermi Level in Extrinsic Semiconductor in Hindi

Fermi-level वह level होता है जिसमे electron के पाये जाने की सम्भावना अधिक होती है. अगर, हम intrinsic semiconductor की बात करें तो fermi level, conduction band और valence band के बीच में पाया जाता है.

जब किसी pure semiconductor में पंचसयोंजी अशुद्धि मिला दी जाती है, तो donor electron का donor energy-level (Ed), conduction band के पास में होता है.

हमें पता है की बाह्य-अर्धचालक में इलेक्ट्रान, intrinsic semiconductor के कारण पैदा हुए इलेक्ट्रान और donor-impurity के कारण पैदा हुए इलेक्ट्रान का कॉम्बिनेशन होता है. तो जितने भी इलेक्ट्रान intrinsic-semiconductor के कारण पैदा हुए, वह valence-band में रहते हैं और Donor-impurity के कारण पैदा हुए इलेक्ट्रान Donor-Energy level में रहते हैं.

जब इलेक्ट्रान donor energy level से conduction band में जाते हैं तो donor energy level में बना space positive ion बन जाता है.

आसानी के लिए हम positive ion को hole मान रहे हैं.

Conduction band में इलेक्ट्रान की संख्या (n) = Donor energy level में holes की संख्या (Nd)

Conduction band में इलेक्ट्रान की संख्या (n) = 2 (2π me* KT/h2)3/2. e(EF – Ec)/KT          (A)

Donor energy level में holes की संख्या (Nd) = Nd [1-f(Ed)]

= Nd [1- 1/1+e(Ed-EF)/KT]

ऊपर लिखी गई समीकरण को हल करने पर,

Donor energy level में holes की संख्या = Nd [1/1+e(EF-Ed)/KT]               (B)

चूँकि, EF – Ed>KT

EF – Ed/KT >1

इसीलिए, e(EF-Ed)/KT>>1,

समीकरण (B) से,

Donor energy level में holes की संख्या = Nd . e(EF-Ed)/KT                            (C)

समीकरण (A) और समीकरण (C) को equate करने पर,

2 (2π me* KT/h2)3/2. e(EF – Ec)/KT = Nd . e(EF-Ed)/KT     

Exponential terms को एक तरफ लिखने  पर,

e(EF – Ec)/KT / e(EF-Ed)/KT   = N/2 .(2π me* KT/h2)-3/2

दोनों तरफ log लेने पर,

E= (Ec + Ed/2 )+ KT/2 logN/2 [2π me* KT/h]-3/2

0ºK तापमान पर, T = 0 रखने पर,

E= (Ec + Ed/2 )

यह समीकरण से सिद्ध होता है की,  N type semiconductor में फर्मी लेवल, conduction band और donor energy level के बीच में होता है.

N Type और P type अर्धचालक में क्या अंतर है? | What is the Difference Between n type and p type semiconductor in hindi?

  1. P-type Semiconductor में Periodic Table के III Group के element, अशुद्धि की तरह यानी as a impurity add किये जाते हैं. जबकि, N-type semiconductor में Periodic Table के V Group के element add किये जाते हैं.
  2. पी-टाइप सेमीकंडक्टर में त्रिसयोंजक (Trivalent) अशुद्धि (impurity) जैसे- एल्युमीनियम, गैलियम, इंडियम मिलायी जाती है. जबकि, n-टाइप सेमीकंडक्टर में पंचसयोंजक अशुद्धि (impurity) जैसे- आर्सेनिक, एंटीमनी, फोस्फोरोस, बिस्मुथ आदि मिलायी जाती है.
  3. P टाइप सेमीकंडक्टर में जो अशुद्धि मिलायी जाती है, उस से holes अधिक मात्रा में मिलते हैं. वहीं, n-type semiconductor में जो अशुद्धि मिलायी जाती है, उस से electrons अधिक मात्रा में मिलते हैं.
  4. P टाइप semiconductor में majority charge carriers, holes और minority charge carriers, electrons होते हैं. लेकिन, n-type semiconductor में, majority charge carriers, electrons और minority charge carriers होल्स होते हैं.
  5. N-type semiconductor में, donor energy level, conduction band के पास और valence band से दूर होता है. जबकि, p-type semiconductor में, acceptor energy level, valence band के pass और conduction band से दूर होता है.
  6. n-टाइप सेमीकंडक्टर में, fermi-level, conduction band और donor-energy level के बीच में lie करता है. जबकि, p-type सेमीकंडक्टर में फर्मी-लेवल, acceptor energy level और valence band के बीच में होता है.
  7. पी-टाइप सेमीकंडक्टर में, majority charge carriers, higher potential से lower potential की तरफ जाते हैं, जबकि n-टाइप सेमीकंडक्टर में, majority charge carriers, lower potential से higher potential की तरफ जाते हैं.

आशा करती हूँ की आपको अच्छे से समझ आ गया होगा की extrinsic semiconductor क्या है? N type और P type semiconductor in Hindi. यदि आपको इस टॉपिक से जुड़े सवालों का जवाब चाहते हों तो बेझिझक कमेंट बॉक्स में लिखें।

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Q1: n और p प्रकार के अर्धचालकों में कोई दो अंतर लिखिए?

Ans: 1. n प्रकार के अर्धचालक में, पंच-सयोंजक अशुद्धि जैसे- (impurity) जैसे- आर्सेनिक, एंटीमनी, फोस्फोरोस, बिस्मुथ आदि मिलायी जाती है. जबकि p-प्रकार के अर्धचालक में, त्रिसयोंजक अशुद्धि जैसे-आर्सेनिक, एंटीमनी, फोस्फोरोस, आदि मिलाया जाता है.
2. n-प्रकार के सेमिकंडक्टर में इलेक्ट्रान, majority-charge carriers होते हैं, और p-प्रकार के सेमीकंडक्टर में होल्स, minority-charge carriers होते हैं.

Q2: p प्रकार का अर्धचालक बनाने हेतु si में किस प्रकार की अशुद्धि मिलाई जाती है?

Ans: P प्रकार का अर्धचालक बनाने के लिए सिलिकॉन में त्रिसयोंजक (trivalent) अशुद्धि (impurity) मिलायी जाती है.

Q3: अर्धचालक कितने प्रकार के होते हैं?

Ans: अर्धचालक यानी semiconductor दो प्रकार के होते हैं,
1. आंतरिक अर्धचालक, जिसे इंग्लिश भाषा में, Intrinsic Semiconductor कहते हैं.
2. दूसरा, बाह्य-अर्धचालक होते हैं, जिसे इंग्लिश भाषा में, Extrinsic Semiconductor कहते हैं. बाह्य-अर्धचालक भी दो प्रकार के होते हैं-
1. P-type extrinsic semiconductor
2. N-type extrinsic semiconductor

Q4: अर्धचालक के उपयोग क्या हैं?

Ans: अर्धचालक का उपयोग, डायोड, ट्रांजिस्टर, rectifier, photodiode, laser-diode, microprocessor और microcontroller में किया जाता है.

Q5: अर्धचालक क्या होते हैं? | What is Semiconductor?

Ans: यह वे पदार्थ होते हैं, जिनकी चालकता यानी conductivity, सुचालक (Conductor) और कुचालक (Insulator) के बीच में होती है. यानी जिनमें, conductor और insulator दोनों के गुण पाये जाते हैं.

Q6: P टाइप और N टाइप सेमीकंडक्टर कैसे बनते हैं?

Ans: जब pure semiconductor जैसे-intrinsic semiconductor में त्रिसयोंजक और पंच-सयोंजक अशुद्धि मिलायी जाती है. तब P-टाइप और N-टाइप सेमीकंडक्टर बनते हैं.

Q7: पी टाइप सेमीकंडक्टर किसे कहते हैं?

Ans: वह सेमीकंडक्टर, जिसमें त्रि-सयोंजक अशुद्धि (trivalent impurity) मिलायी जाती है. पी टाइप सेमीकंडक्टर कहलाते हैं.

Q8: P और n type अर्धचालक में कौनसी अशुद्धि मिलाते हैं?

Ans: n प्रकार के अर्धचालक में, पंच-सयोंजक अशुद्धि जैसे- (impurity) जैसे- आर्सेनिक, एंटीमनी, फोस्फोरोस, बिस्मुथ आदि मिलायी जाती है. जबकि p-प्रकार के अर्धचालक में, त्रिसयोंजक अशुद्धि जैसे-आर्सेनिक, एंटीमनी, फोस्फोरोस, आदि मिलाया जाता है.

नमस्ते दोस्तों, मेरा नाम ग्लोरी है. मैंने बी.टेक किया है. इस से पहले मैं इंजीनियरिंग कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर थी. मुझे लिखने का बहुत शौक है. मैं जो भी सीखती हूँ, वह लोगो को सिखाना भी पसंद करती हूँ. इसी, उद्देश्य से मैंने यह ब्लॉग शुरू किया। मुझे आशा है की यह ब्लॉग आपके जीवन में कुछ वैल्यू ऐड करेगा।

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